तेलुगू-हिंदी सिनेमा के लीजेंडरी के. विश्वनाथ (K Viswanath) का निधन हो गया है. वे 92 साल के थे और उनका हैदराबाद के एक अस्पताल में काफी समय से इलाज चल रहा था. पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता ने अपने आवास पर अंतिम सांस ली. के विश्वनाथ उम्र संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे. वहीं के. विश्वनाथ के निधन की खबर से उनके फैंस और तमाम सेलेब्स में शोक की लहर दौड़ गई है और सभी दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
के. विश्वनाथ ने कई हिंदी फिल्मों को निर्देशित किया था
के. विश्वनाथ ने कई हिंदी फिल्मों को निर्देशित किया. इनममें ईश्वर, संजोग, सुर सरगम, कामचोर, जाग उठा इंसान, संगीत जैसी हिंदी फ़िल्में शामिल थी. उनके द्वारा निर्देशित हिंदी फ़िल्में उन्हीं की तेलुगू फ़िल्मों की रीमेक हुआ करती थीं. उन्होंने तमिल में ‘यारादी नी मोहिनी’, ‘राजापट्टाई’, ‘लिंगा’ और ‘उत्तम विलेन’ जैसी फिल्मों में रोल भी प्ले किए थे.
1965 में डायरेक्टर के तौर पर किया डेब्यू
1965 में, विश्वनाथ ने तेलुगु फिल्म ‘आत्मा गोवरवम’ के साथ डायरेक्टर के रूप में डेब्यू किया था. इसके लिए बेस्ट फीचर फिल्म के लिए नंदी पुरस्कार जीता. वह पुरस्कार विजेता क्लासिक ‘शंकरभरणम’ के साथ एक फेमस डायरेक्टर बन गए, जिसे आज भी उनकी बेस्ट वर्क में से एक माना जाता है.
के. विश्वनाथ ने कई अवॉर्ड से किया गया सम्मानित
के. विश्वानाथ को भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (2016) से भी सम्मानित किया गया था.1992 में के. विश्वनाथ को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.अपने छह दशक लम्बे फ़िल्म करियर में उन्हें पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे गये थे.
कमल हासन मानते थे के विश्वनाथ को अपना गुरू
कमल हासन, जो फिल्म इंडस्ट्री के ऑलराउंडर एक्टर हैं वे दिग्गज तेलुगु निर्देशक और एक्टर के विश्वनाथ को अपना गुरु मानते थे. उन्होंने हाल ही में वेटरेन डायरेकटर के विश्वनाथ से पिछले साल नवंबर में हैदराबाद में उनके आवास पर मुलाकात की थी.