जी.एन.आई.ओ.टी तकनीकी संस्थान में डी. सी. पी. नॉएडा, श्री हरीश चंद्रा ने विद्यार्थियों को दिया सफलता का मंत्र
दिनाँक 30 मई 2022 को जी.एन.आई.ओ.टी तकनीकी संस्थान में करियर उत्कृष्टता पर वार्तालाप हेतु एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के चेयरमैन श्री राजेश गुप्ता, मुख्य अतिथि श्री हरीश चंद्रा (डी. सी. पी. नॉएडा), श्री कमल देव सिंह ( निदेशक, निर्माण I.A.S. अकादमी , मुखर्जी नगर, दिल्ली), श्री स्वदेश सिंह (सी ई ओ , GIMS), डॉ. धीरज गुप्ता (निदेशक, जी.एन.आई.ओ.टी तकनीकी संस्थान ) ने माँ सरस्वती की वंदना करते हुए किया।
तत्पश्चात डॉ. धीरज गुप्ता ने अपने उद्बोधन में उपस्थित इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को बताया कि एक प्रतियोगी के लिए टाइम मैनेजमेंट के साथ-साथ अपने आप को स्वस्थ रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा की निर्माण आई. ए. एस. अकादमी से हमारे संस्थान के विद्यार्थिओं को बहुत सीखने को मिलेगा।
निर्माण I.A.S. अकादमी के निदेशक श्री कमल देव सिंह ने सभी विद्यार्थियों को सिविल सर्विसेज में सफल होने का आसान रास्ता बताया और कहा कि हर छात्र को A.A.A. के नियम के अनुरूप चलने की जरूरत है , जिसमें पहला A से Aim स्पष्ट होना चाहिए, दूसरे A से Action प्लान तैयार होना चाहिए और तीसरे A से Attitude सकारात्मक होना चाहिए। उन्होंने बताया कि सिविल सर्विसेज में 50 से 60 प्रतिशत इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स सफल होते है।
मुख्य अतिथि श्री हरीश चंद्रा न केवल अपनी सफलता के दौरान अपना संघर्ष साझा किया बल्कि एक मध्यम वर्ग से आये विद्यार्थी को किस तरह एक्शन प्लान के साथ अध्ययन करना चाहिए, यह भी बताया। उन्होंने बताया की अपने करियर में एक प्लान ‘B’ भी रखना चाहिए। उन्होंने F.I.T. के अनुरूप कार्य करने की बात बतायी अर्थात: F से फॉर्म , I से इन्फॉर्म और T से ट्रांसफॉर्म होने की बात कही ।
कई विद्यार्थिओं ने अपने प्रश्न पूछे और उनके संतोषजनक उत्तर मिलने पर वे अति प्रशन्न दिखाई दिए। अंत में संस्थान के चेयरमैन श्री राजेश गुप्ता जी ने मुख्य अतिथि श्री हरीश चंद्रा एवं श्री कमल देव सिंह का विशेष आभार व्यक्त किया और सभी विद्यार्थयों को अधिक से अधिक सिविल सर्विसेज की परीक्षा में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। और उन्होंने भविष्य में निर्माण I.A.S. अकादमी और जी.एन.आई.ओ.टी तकनीकी संस्थान एक साथ मिलकर एक कॉमन प्लेटफॉर्म पर आने के संकेत दिए जिससे विद्यार्थियों को अधिक से अधिक लाभ/मार्गदर्शन मिल सकेगा।