Crime Branch : IPS रवींद्र सिंह यादव और दिल्ली पुलिस के जबाज़ों ने अशोक विहार अपहरण मामले का किया पर्दाफ़ाश (पूरी रिपोर्ट)
रिपोर्ट : रोहित कुमार
रिपोर्ट : रोहित कुमार
दिल्ली। अशोक विहार अपहरण मामले का पर्दाफ़ाश । अपराध शाखा द्वारा मानसिक रूप से पीड़ित नाबालिग को परिवार से मिलाया गया।
अपराध शाखा, दिल्ली पुलिस की टीमों द्वारा बड़ी संख्या में ऐसे बच्चों का पता लगाया गया है,जो किसी न किसी कारण से अपने परिवारों से अलग हो गए थे। गुमशुदा बच्चों का पता लगाने के लिए अपराध शाखा की विभिन्न टीमों द्वारा कठिन प्रयास किये जा रहे हैं | टीमों द्वारा दिल्ली के सभी थानों और जिपनेट से लापता बच्चों की जानकारी का मिलान कर सभी संभावित स्थानों का दौरा भी किया गया | लापता बच्चों के परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की गई।
इस दिशा में काम करते हुए एक टीम को एक मानसिक रूप से पीड़ित नाबालिग, जो ठीक से बोलने में सक्षम भी नही है, का पता लगाने में सफलता प्राप्त हुई| उसे उसके परिवार से मिलाकर प्राथमिकी संख्या 453/2023, धारा 363 आईपीसी, थाना अशोक विहार अपहरण मामले को सुलझा लिया गया है |
Operation Milap कैसे हुआ संभव ।
नाबालिग, उम्र 14 वर्ष के अपहरण के सन्दर्भ में प्राथमिकी संख्या 453/2023, धारा 363 आईपीसी, थाना अशोक विहार दर्ज की गयी थी | इस मामले में स्थानीय पुलिस जांच कर रही थी | स्थानीय टीम द्वारा जांच के दौरान, पीड़ित का पता लगाने का कठिन प्रयास किया गया लेकिन पीड़ित की कोई जानकारी नहीं प्राप्त की जा सकी |
तदानुसार, उपायुक्त संजय भाटिया द्वारा सहायक आयुक्त नरेंदर की देख रेख में व निरीक्षक संदीप स्वामी के नेतृत्व एक टीम का गठन किया गया | जिसमे उप-निरीक्षक रवि सैनी व महिला प्रधान सिपाही सीमा रानी शामिल थे | टीम ने लगातार काम किया, जानकारी जुटाई और आसपास के इलाकों की तलाशी ली। स्थानीय सूचना के आधार पर कुछ संदिग्धों को शॉर्टलिस्ट किया गया और उनकी जांच की गई, लेकिन लापता नाबालिग के बारे में कोई जानकारी नहीं निकाली जा सकी।
महिला प्रधान सिपाही सीमा रानी द्वारा की गई तकनीकी व मैनुअल निगरानी के आधार पर बालक गृह, तृतीय और चतुर्थ कस्तूरबा निकेतन, लाजपत नगर-II, दिल्ली के परिसर में लापता नाबालिग का पता लगा लिया गया। लड़के को, आगे की कार्यवाही हेतु थाना अशोक विहार, दिल्ली को सौंप दिया गया।
Investigation done with Victim
नाबालिग पीड़ित से पूछताछ के दौरान उसने बताया कि वह अपनी मां को बताए बिना वह स्कूल, शालीमार बाग, दिल्ली जाने के लिए डीटीसी बस में सवार हो गया था, परन्तु स्कूल पहुचने की बजाय वह हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के इलाके में पहुंच गया, जहां उसे थाना हजरत निजामुद्दीन की स्थानीय पुलिस द्वारा बाल गृह-3 और 4 कस्तूरबा निकेतन, लाजपत नगर -2, दिल्ली को सौंप दिया गया था।