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किशोर उपाध्याय के बहाने असंतुष्टों को भी दिया कांग्रेस हाईकमान ने संदेश

उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों से पहले ही कांग्रेस ने पार्टी से असंतुष्ट चल रहे नेताओं को एक अहम संदेश दिया है। पिछले कुछ समय से पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया है। किशोर उपाध्याय पर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की लड़ाई को कमजोर करने का आरोप लगाया गया है। ये भी कहा गया है कि जल्द ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक एक्शन भी ले सकती है। इस कदम से कांग्रेस पार्टी ने पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं को किसी भी तरह की गुस्ताखी न करने के संदेश दिए हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने किशोर उपाध्याय के खिलाफ लिए गए एक्शन पर कहा कि किशोर के साथ कई बार बातचीत कर मुद्दे को सुलझाने का प्रयास किया गया। पार्टी हाई कमान ने स्थिति बर्दाश्त के बाहर होने पर उन्हें सभी पदों से हटा दिया गया।

दरअसल, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। प्रदेश में किशोर उपाध्याय वनाधिकार आंदोलन को लेकर भी अपनी ही सरकार को घेर रहे हैं। हाल ही में भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार और चुनाव प्रभारी व केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी से भी वो मिल चुके हैं जिससे पार्टी में उनके खिलाफ गुस्सा बढ़ा है।

ये नाराजगी आज से नहीं है। 2017 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद जब कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया था तबसे वो नाराज चल रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के साथ भी टकराहट सामने आई थी।

ऐसा नहीं है कि पार्टी ने उन्हें मनाने का प्रयास नहीं किया। जब राहुल गांधी 16 दिसम्बर को देहरादून की रैली पर जाने वाले थे उससे पहले प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत कई नेताओं ने उन्हें मनाने का प्रयास किया था। इसके बावजूद बात नहीं बन रही थी। इससे पहले भी कई बार ये प्रयास किये गए हैं।

जिस तरह से किशोर उपाध्याय पार्टी से नाराज चल रहे हैं और भाजपा के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं उससे उनके लिए मुश्किलें बढ़ गई। अब पार्टी हाई कमान ने उनकी गतिविधियों को गंभीरता से लेते हुए सभी पदों से हटा दिया है। बता दें कि कांग्रेस से प्रीतम सिंह और उनके समर्थक भी नाराज चल रहे हैं। ऐसे समय में किशोर उपाध्याय के खिलाफ उठाया गया ये कदम एक बड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

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