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कानपुर में उपद्रवियों के ठिकानों पर चलने लगा बुलडोजर, ढहाया जा रहा मुख्य आरोपित के रिश्तेदार का अवैध निर्माण

कानपुर: शहर में हिंसा के उपद्रवियों के खिलाफ बाबा का बुलडोजर चलना शुरू हो गया है. बेनाझाबर स्थित हयात जफर के रिश्तेदार मोहम्मद इश्तियाक की आलीशान अवैध बिल्डिंग को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया. इतनी बड़ी बिल्डिंग अवैध तरीके से बन कर खड़ी हो गई और केडीए सोता रहा. जब हयात जफर हाशमी ने दंगा करा दिया तब पुलिस और केडीए को याद आया कि बिल्डिंग अवैध रूप से बनी है और हयात जफर इसमें साइलेंट पार्टनर भी है.

ईटीवी भारत से बात करते केडीए सचिव शत्रोहन वैश्य ने कहा कि भू-माफिया की लगातार शिकायतें मिल रहीं थीं. उसी क्रम में आज इस बिल्डिंग पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई. उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य कार्रवाई है. उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई का हिंसा के कोई लेना नहीं है. केडीए के द्वारा रूटीन कार्रवाई की जा रही है. हालांकि, इस कार्रवाई ने यह दर्शा दिया है कि इस बिल्डिंग में कहीं न कहीं हयात का पैसा लगा था. लेकिन, हयात की संलिप्तता पर जिम्मेदार अफसर कुछ नहीं बोल रहे हैं. वहीं. संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि यह भू-माफिया के खिलाफ अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई की जा रही है. इस कार्रवाई में सभी साक्ष्यों को ध्यान में रखा जाता है.

बुलडोजर चलाने के नाम पर सिर्फ दिखावे के लिए बिल्डिंग का फ्रंट एलिवेशन तोड़ा जाता है. बिल्डिंग के कमरों में हथौड़े चलाकर कमरे तोड़ने का दिखावा किया जाता है. दहशत फैलाने के लिए एक साथ कई बुलडोजर बुलाए जाते हैं. लेकिन, कोई भी बुलडोजर बिल्डिंग के बेसमेंट या फर्स्ट फ्लोर, सेकंड फ्लोर में कोई भी बीम नहीं गिराई जाती है. आंशिक नुकसान कर बिल्डिंग में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का कोरम पुलिस और केडीए पूरा कर रही है. पूरी बिल्डिंग का ढांचा उसी तरह मौजूद है, जैसा बिल्डिंग फिनिश होने के समय थी.

बिल्डिंग ध्वस्तीकरण की कार्रवाई में पुलिस बल के साथ केडीए, पुलिस-प्रशासन के अधिकारी व आरएएफ के जवान मौजूद रहे. वैसे तो कहा जा रहा है कि ये बिल्डिंग अवैध रूप से बनी थी और इसके ढहाने का आदेश पहले ही हो चुका था. लेकिन, गत दिनों की हिंसा के पीछे मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी का बिल्डिंग मालिक मोहम्मद इश्तियाक रिश्तेदार बताया जा रहा है, उसी आधार पर हयात को साइलेंट पार्टनर बताकर केडीए और पुलिस ने आनन-फानन में कार्रवाई कर अपनी नौकरी बचाने की कवायद जरूर पूरी कर ली. जबकि जेल गए सभी आरोपियों की मुस्लिम इलाकों में काफी संपत्तियां हैं, जो अवैध रूप से बनी हैं.

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