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दो साल तक किया बहिष्कार, अब केन्द्र की बुलाई बैठक में शामिल हुए KCR की पार्टी, क्या है इसके पीछे की वजह?

तेलंगाना सीएम केसीआर की बीजेपी के साथ कुछ तो केमस्ट्री है जो उन्होंने केंद्रीय बैठकों का बहिष्कार खत्म करने का फैसला लिया. 2020 नवंबर के बाद केसीआर ने लगातार सेंट्रल की मीटिंग का बहिष्कार किया था. मणिपुर हिंसा को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर हिंसा को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस मीटिंग में केसीआर ने एक प्रतिनिधि को मीटिंग में भाग लेने के लिए भेजा था. दो साल का सूखा केसीआर ने समाप्त कर दिया है.

एक वक्त था जब केसीआर थर्ड फ्रंट बनाने में सबसे आगे थे. लेकिन अब उन्होंने विपक्षी एकता को छोड़कर अपना ध्यान तेलंगाना विकास मॉडल पर केंद्रित कर दिया है. उनकी पार्टी शुक्रवार को पटना में हुई विपक्षी पार्टियों की मीटिंग में भी शामिल नहीं हुई. केसीआर पीएम मोदी पर लगातार हमलावर रहे हैं. लेकिन 15 जून को नागपुर के पार्टी कार्यक्रम में पीएम मोदी को अच्छा दोस्त कहा. जब पटना में बीजेपी के खिलाफ 16 पार्टियों के नेता एक छत के नीचे आए तो उसी वक्त केसीआर के बेटे और तेलंगाना के मंत्री केटी रामाराव ने नई दिल्ली में दो दिवसीय यात्रा पर आए.

शाह से हो सकती है मुलाकात

उन्होंने इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. इसके बाद उनका केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने का भी प्रोग्राम है. नई दिल्ली संसद लाइब्रेरी में अमित शाह ने मणिपुर हिंसा पर मीटिंग की थी. केसीआर ने अपनी तरफ से सीनियर नेता और पूर्व सांसद बी विनोद को भेजा था. दो साल बाद केसीआर किसी केंद्रीय बैठक पर हिस्सा ले रहे थे.

शराब घोटाले में बेटी का नाम

सूत्रों का मानना है कि दिल्ली शराब नीति घोटाले में केसीआर की बेटी के कविता का नाम सामने आने के बाद शायद केसीआर ने अपना मन बदला है. ईडी ने उनसे दो बार पूछताछ की है और दो आरोप पत्रों में उनका नाम शामिल है. उनकी गिरफ्तारी की खबरें आ रहीं थीं. हालांकि अप्रैल में जब तीसरी चार्जशीट दाखिल की गई तो इसमें के कविता का नाम शामिल नहीं था. साल के अंत में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में बीआरएस के साथ बीजेपी की कथित निकटता भाजपा के लिए परेशानी का कारण भी बन रही है.

बीजेपी को हो सकता है नुकसान

कहा जा रहा है कि पार्टी नेता कोमाटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी और एटाला राजेंदर कांग्रेस में जाने पर विचार कर रहे हैं. ये लोग हाल ही में तेलंगाना भाजपा में शामिल हुए थे. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने कहा कि वोटर्स को अलग ये महसूस हो गया कि बीआरएस और बीजेपी में प्रेम ज्यादा बढ़ गया है तो वो कांग्रेस का रुख कर सकती है. इससे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मदद मिल सकती है.

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