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Bomb Threat: दिल्ली के स्कूल ही नहीं PM मोदी और मुकेश अंबानी तक को मिल चुकी है ई-मेल पर धमकी, मांगे थे 400 करोड़ रुपये

नई दिल्ली। दिल्ली के कई स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी देने का मामला कोई पहली बार नहीं है। पहले भी दिल्ली के स्कूलों को इस तरह की धमकी मिलती रही हैं। केवल दिल्ली के स्कूल ही नहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के सबसे बडे़ उद्योगपति मुकेश अंबानी तक को धमकी भरे ईमेल भेजे जा चुके हैं।

इनमें कुछ मामलों में पुलिस आरोपितों तक पहुंच जाती है तो कुछ पुलिस की पकड़ से दूर रहते हैं। ऐसा होता है आरोपितों द्वारा ऐसे सर्वर का इस्तेमाल करने से जो अपने उपभोक्ताओं का डाटा साझा नहीं करते है या फिर डार्कवेब का इस्तेमाल करने के कारण।

पहले भी स्कूलों को मिल चुकी है धमकी

  • 12 फरवरी 2024 को दिल्ली के साकेत के पुष्प विहार इलाके में स्थित एमिटी स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। उस वक्त भी स्कूल प्रबंधन को ईमेल के जरिए स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी।
  • वहीं दो फरवरी को आरकेपुरम स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। इसमें प्रिंसिपल को एक मेल भेजा गया था और इसी मेल के जरिए स्कूल में बम ब्लास्ट करने की धमकी दी गई थी।
  • बीते साल 25 अप्रैल को दिल्ली पब्लिक स्कूल की आधिकारिक आईडी पर बम की धमकी भरा ईमेल भेजा गया था।
  • 12 अप्रैल 2023 को डिफेंस कालोनी में स्थित द इंडियन स्कूल को ईमेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। इसके बाद एहतियात के तौर पर स्कूल को खाली करा दिया गया था। स्वाट कमांडो और बम निरोधक दस्ते की टीम स्कूल पहुंची और जांच की। मगर यहां ऐसा कुछ नहीं मिला।
  • इससे पहले 2022 नवंबर में भी स्कूल को एक ईमेल आया था, लेकिन उसका सर्वर जर्मन से था, इसलिए आगे उसका लिंक स्टैबलिश नहीं हो पाया था।

मेल भेजने वाला निकला था स्कूल का ही नाबालिग छात्र

25 अप्रैल 2023 को दिल्ली पब्लिक स्कूल प्रशासन को उसके आधिकारिक आईडी पर एक ईमेल प्राप्त हुआ था, जिसमें दावा किया गया कि कैंपस में बम लगाया गया, जो बुधवार यानी 26 अप्रैल को सुबह नौ बजे एक्टिवेट हो जाएगा। बाद में पुलिस को कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मामले में पूछताछ की और पाया गया कि इस मेल के लिए रूस स्थित सर्वर का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन आगे की जांच में पता चला कि संदिग्ध दिल्ली में है। जांच में यह भी पता चला कि छात्र ने बचने के लिए कथित तौर पर अलग-अलग साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया।

लड़के की पहचान कर ली गई,क्योंकि वह 16 साल का था,तो इसलिए न तो उसे पकड़ा जा सकता था और न ही उसे थाने बुलाया जा सकता था। लड़के ने मजे के लिए ऐसा किया था, बाद में पुलिस ने छात्र की काउंसलिग कराई।

एक साथ कई स्कूलों में बम की धमकी का मिल चुका है ईमेल

दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को कई स्कूलों को एक साथ परिसर में बम होने का धमकी भरा ईमेल मिला। जबकि इससे पहले बेंगलुरु में भी ऐसा हो चुका है। एक दिसम्बर 2023 को बंगलूरू के 44 स्कूलों को धमकी भरा ईमेल मिला था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मिल चुकी है धमकी

सात अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नरेंद्र मोदी स्टेडियम को उड़ाने की धमकी का ई मेल मिला था। ईमेल की जांच के दौरान मुंबई क्राइम ब्रांच ने पाया कि ईमेल प्रोटोन मेल प्लेटफार्म का उपयोग करके भेजा गया था। इस प्लेटफार्म का सर्वर स्विट्जरलैंड में हैं।

स्विट्ज़रलैंड की यह ईमेल का प्लेटफार्म देने वाली यह कंपनी उसके उपभोक्ताओं की जानकारी साझा नहीं करती है। यह ईमेल आईडी ओसामा बिन लादेन्स हायर के नाम से रजिस्टर किया गया था। जांच में पता चला कि भेजे गये ईमेल में 7-8 लेयर की सुरक्षा थी और इसका डोमेन स्विट्जरलैंड में स्थित है।

एजेंसी ने संबंधित सरकार से ईमेल आईडी के बारे में अधिक जानकारी साझा करने का अनुरोध किया। ईमेल में लिखा था कि तुम्हारी सरकार से हमें 500 करोड़ और लारेंस बिश्नोई चाहिए, नहीं तो कल हम नरेंद्र मोदी के साथ नरेंद्र मोदी स्टेडियम भी उड़ा देंगे। हिंदुस्तान में सब कुछ बिकता है, कुछ खरीद लिया है, कितना भी सुरक्षित करो, हमसे नहीं बचा पाओगे। अगर बात करनी है तो इस मेल पर ही बात करना।

मुकेश अंबानी को भी मिल चुकी धमकी, मांगे थे 400 करोड़ रुपये

एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी की कंपनी की ऑफिशियल ईमेल आईडी पर 27 अक्टूबर 2023 को पहली धमकी भरी मेल मिला और धमकी देने वाले ने 20 करोड़ रुपये नहीं मिलने पर मुकेश अंबानी को मार ने की धमकी दी।

इसके बाद 28 अक्टूबर को फिर से एक धमकी भरी ईमेल आई, लेकिन, इस बार रकम बढ़ाकर सीधे 200 करोड़ कर दी गई थी और बाद में भेजे ईमेल मे यह रकम 400 करोड़ पहुंच गई थी।

मुंबई पुलिस ने इस मामले में 21 साल के आरोपित को गिरफ्तार किया था। आरोपित ने डार्क वेब का इस्तेमाल कर मेल भेजे थे और उसे पूरा विश्वास था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाएगी।

आरोपित पूरी रात डार्क वेब पर रहता था और लगातार अपने आईपी एड्रेस को एक देश से दूसर देश में बदलता रहता था। इस दौरान वह एक चूक कर गया और पुलिस उस तक पहुंच गई।

क्या होता है डार्क वेब?

डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है। हम इंटरनेट कंटेंट के केवल चार प्रतिश हिस्से का इस्तेमाल करते है, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है।

डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जिसमें ई-मेल, नेट बैंकिंग, आते हैं। डार्क वेब को खोलने के लिए टार ब्राउजर का इस्तेमाल किया जाता है। डार्क वेब पर ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाईल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें मिलती हैं।

कैसे काम करता है?

डार्क वेब ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है। ये यूजर्स को ट्रैकिंग और सर्विलांस से बचाता है और उनकी गोपनीयता बरकरार रखने के लिए सैकड़ों जगह रूट और री-रूट करता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो डार्क वेब ढेर सारी आईपी एड्रेस से कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होता है, जिससे इसको ट्रैक कर पाना असंभव हो जाता है।

यहां यूजर की जानकारी इंक्रिप्टेड होती है, जिसे डिकोड करना नाममुकिन है। डार्क वेब पर डील करने के लिए वर्चुअल करेंसी जैसे बिटकाइन का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि ट्रांजैक्शन को ट्रेस न किया जा सके।

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