यूपी में 14 हारी सीटें जीतने के लिए भाजपा ने शुरू की कसरत, बन रही नई रणनीति
2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का दावा कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, सभी ऐसा कह चुके हैं।
ऐसे में सवाल है कि भाजपा नेताओं के इस दावे के पीछे क्या रणनीति है? क्यों भाजपा ये दावा कर रही है? क्या भाजपा का ये दावा हकीकत में बदल सकता है? अगर हां, तो कैसे? आइए आंकड़ों से समझते हैं…
भाजपा 80 सीटें जीतने का दावा कैसे कर रही?
इसके पीछे तीन सीटों के नतीजे सबसे अहम वजह हैं। ये सीटें हैं आजमगढ़, रामपुर और अमेठी। यहां कभी सपा और कांग्रेस का गढ़ कही जाती थीं। इस वक्त तीनों पर भाजपा का कब्जा है। अमेठी में जहां भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे जीत मिली। जहां राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा। वहीं, रामपुर और आजमगढ़ में हाल ही में हुए उप-चुनाव में ये सीटें भाजपा ने सपा से छीनीं। अब पार्टी ने मैनपुरी, रायबरेली जैसी सीटों पर भी जीतने का लक्ष्य बनाया है।
कैसे भाजपा का लक्ष्य होगा पूरा?
इसे समझने के लिए हमने यूपी भाजपा के एक दिग्गज नेता से बात की। उन्होंने कहा, ‘2024 लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी ने अभी से काम करना शुरू कर दिया है। इस प्लानिंग के तीन प्रमुख बिंदु हैं।
1. हारी हुई सीटों पर फोकस: 2014 और 2019 में भाजपा को जिन-जिन सीटों पर हार मिली थी, उन सीटों की समीक्षा की गई है। इन सीटों पर विपक्ष की जीत की वजह जातीय और धार्मिक फैक्टर के साथ विपक्ष का चेहरा भी वजह रहा था। इस बार अभी से उन सभी सीटों पर भाजपा फोकस कर रही है। आने वाले समय में जातीय, धार्मिक समीकरण भी साधे जाएंगे। इन सीटों पर केंद्रीय मंत्री, राज्य सरकार के मंत्रियों का दौरा ज्यादा से ज्यादा होगा। स्थानीय लोगों की हर समस्याओं का निस्तारण होगा और उन्हें सरकार के कामकाज की जानकारी दी जाएगी।
2. बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने का काम: विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने बूथ स्तर पर परिणामों की समीक्षा की है। इसमें मालूम चला कि यूपी के करीब पौने दो लाख बूथों में से एक लाख बूथ ऐसे हैं, जिनपर भाजपा की अच्छी पकड़ है। मतलब ये बूथ अब भाजपा के मजबूत स्तंभ की तरह हो गए हैं। इसके अलावा 75 हजार बूथ ऐसे हैं, जहां स्थिति थोड़ी खराब है। इनमें भी 40 हजार बूथ अल्पसंख्यक बहुल हैं। इसके अलावा 35 हजार बूथ ऐसे हैं, जहां अन्य पार्टियों के साथ भाजपा की टक्कर बराबरी की है। भाजपा ने पहले इन 35 हजार बूथों को पूरी तरह से अपने पाले में करने की योजना बनाई है। जिन 40 हजार बूथों से उन्हें वोट कम ही मिलते हैं, वहां सेंधमारी बढ़ाने की प्लानिंग की है।
3. इन वोटर्स पर ज्यादा फोकस: पार्टी ने 2019 और फिर 2022 चुनाव के नतीजों के बाद जो समीक्षा की गई है, उसके अनुसार भाजपा को यादव, जाटव, मुस्लिम वोटर्स के बीच पकड़ बनाने की जरूरत है। इसके लिए भाजपा ने अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है।
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 25 जुलाई को जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का शपथ समारोह था, तब व्यस्तता के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरमोहन यादव की पुण्यतिथि को संबोधित किया था। हरमोहन यादव यूपी के कद्दावर यादव नेता थे।
लंबे समय से कयास लग रहे हैं कि यादव वोटर्स को अपने पाले में करने के लिए भाजपा शिवपाल सिंह यादव को भी साथ ला सकती है। मुलायम की बहू अपर्णा यादव विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। प्रदेश सरकार में इस बार जौनपुर के विधायक गिरीश यादव को फिर से स्वतंत्र प्रभार का राज्य मंत्री बनाया गया है।
वहीं, जाटव वोटर्स को साधने के लिए भाजपा ने बेबी रानी मौर्या को आगे किया है। बेबी रानी मौर्या जाटव समाज से आती हैं। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें उत्तराखंड के राज्यपाल पद से हटाकर वापस बुला लिया गया था। अब वह यूपी सरकार में मंत्री भी हैं।
मुस्लिम वोटर्स की बात करें तो भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस पसमांदा मुस्लिम वोटर्स पर है। इनकी संख्या यूपी में सबसे अधिक है। भाजपा का दावा है कि सरकारी की योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ भी इन्हीं पसमांदा मुसलमानों को मिला है। ऐसे में पार्टी ने इन वोटर्स को अपनी ओर करने की जिम्मेदारी दानिश आजाद अंसारी को सौंपी है। दानिश पसमांदा मुसलमान हैं और लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं।
सभी 80 सीटों पर सर्वे भी करा रही पार्टी
वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव बताते हैं कि यूपी में मिशन 2024 के तहत भाजपा ने काम करना शुरू कर दिया है। सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पार्टी ने सर्वे कराना शुरू किया है। इस सर्वे के जरिए पार्टी इन क्षेत्रों के भाजपा नेताओं की जानकारी जुटा रही है। इसके साथ-साथ क्षेत्र की स्थानीय समस्याओं, मुद्दों को लेकर भी लोगों से जानकारी हासिल कर रही है। इसमें भाजपा सांसदों की रिपोर्ट कार्ड भी तैयार हो रही है। इसी आधार पर 2024 लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण का काम भी होगा।