शहर के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ एवं फिजिशियन डॉ. हंसराज आरोड़ा ने शक्ति नहर में कूदकर जान दे दी। शनिवार रात 12 बजे वह अपनी कार लेकर घर से निकले थे। पुलिस ने उनके शव को नहर के ढकरानी जलविद्युत गृह के इंटेक से बरामद करके पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। उन्होंने अपने बेटे के मोबाइल पर सुसाइड नोट भी भेजा था, जिसमें बीमारी को आत्महत्या का कारण बताया है।
पछवादून, जौनसार बावर और हिमालच प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों के लोगों के लिए मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले डॉ. हंसराज अरोड़ा (72) शनिवार रात लगभग 12 बजे अपनी कार लेकर न्यू कॉलोनी स्थित अपने घर से निकले थे। जब वह काफी देर तक घर नहीं पहुंचे को परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने काफी खोजबीन के बाद शक्ति नहर के पुल नंबर एक व दो के बीच से उनकी कार को लावारिस अवस्था में बरामद कर लिया।
इसके बाद पुलिस को उनके बेटे आयुष अरोड़ा के व्हॉट्सएप पर भेजा गया सुसाइड नोट मिला। पुलिस ने बताया कि सुसाइड नोट में उन्होंने अपनी बीमारी को आत्महत्या का कारण बताया है। लिखा है कि ‘बीमारी के कारण अब मेरी जीने की इच्छा नहीं है। मेरी मौत का कोई और जिम्मेदार नहीं है।’ सुसाइड नोट मिलने पर पुलिस, एसडीआरएफ और जल पुलिस की संयुक्त टीम ने शक्ति नहर में सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
रविवार सुबह ढकरानी पावर हाउस के इंटेक में उनका शव मिला। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। विकासनगर कोतवाली प्रभारी शंकर सिंह बिष्ट ने बताया कि सुसाइड नोट मिलने से उनके आत्महत्या करने की पुष्टि हुई है। बावजूद इसके पुलिस मामले की जांच कर रही है।
डिप्रेशन का थे शिकार, पहले भी कर चुके थे जान देने की कोशिश
पुलिस का कहना है कि जानकारी मिली है कि डॉ. अरोड़ा पिछले काफी समय से डिप्रेशन का शिकार थे। पुलिस ने बताया कि कुछ समय पहले भी उन्होंने नहर में कूदकर जान देने की कोशिश की थी, लेकिन तब वहां से गुजर रहे ग्रामीणों ने सुरक्षित नहर से बाहर निकाल लिया था। बताया जा रहा है कि कुछ वर्ष पहले उनकी पत्नी की भी मौत हो गई थी। अमेरिका में रहने वाली उनकी एक डॉक्टर बेटी की भी कुछ साल पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उनकी दूसरी बेटी भी अमेरिका में डॉक्टर है। पत्नी और एक बेटी को खोने के बाद वह गुमसुम रहने लगे थे।
47 साल से अधिक समय से कर रहे थे प्रैक्टिस
मेरठ मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी मेडिसिन करने के पश्चात डॉ. हंसराज अरोड़ा ने लगभग 47 साल पहले विकासनगर में प्रैक्टिस शुरू की थी। पछवादून के तमाम गांवों के निवासियों से लेकर जौनसार बावर व हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों से प्रतिदिन भारी संख्या में रोगी उनके पास आते थे। डॉ. अरोड़ा के बेटे आयुष अरोड़ा भी चिकित्सक हैं। वह पिता के क्लीनिक पर बैठते हैं। डॉ. अरोड़ा शहर के वरिष्ठ चिकित्सक के अलावा सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े थे। उनकी मृत्यु पर लायंस क्लब, रोटरी क्लब, जन संघर्ष मोर्चा, विकासनगर बार एसोसिएशन, कालसी बार एसोसिएशन, आईएमए, संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच, नगर व्यापार मंडल, संयुक्त व्यापार मंडल आदि समेत सभी संस्थाओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शोक व्यक्त किया है।