नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल मसूरी को बचाने के लिए यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या नियंत्रित करने की सिफारिश की है। साथ ही समिति ने यहां आने वाले पर्यटकों से पंजीकरण शुल्क वसूलने और इस रकम का इस्तेमाल शहर के कूड़ा प्रबंधन और स्वच्छता पर खर्च करने की सलाह दी है।
जोशीमठ भूमि धंसाव के चलते लोगों के घरों में दरार पड़ने की घटना के मद्देनजर तथा मीडिया में मसूरी को लेकर प्रकाशित खबर जिसमें कहा गया था कि ‘जोशीमठ मसूरी के लिए एक चेतावनी है’ पर संज्ञान लेते हुए इसी साल जनवरी में एनजीटी ने समिति का गठन किया था। समिति को मसूरी की वहन क्षमता का अध्य्यन कर रिपोर्ट पेश करने कहा गया था।
समिति ने ट्रिब्यूनल में पेश अपनी रिपोर्ट में कई नियामक कदमों का सुझाव दिया है। समिति ने कहा है कि ह्यपर्यटकों का पंजीकरण, मसूरी की वहन क्षमता, खासकर उपलब्ध पार्किंग स्थान, होटल, रिसॉर्ट, अतिथि कक्ष की उपलब्धता आदि के अनुसार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मसूरी आने वाले पर्यटकों से पंजीकरण शुल्क लेने और इस रकम का इस्तेमाल कूड़ा प्रबंधन और स्वच्छता के लिए किया जाना चाहिए।
बीते साल 12 लाख लोग मसूरी घूमने आए
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मसूरी में वर्ष 2000 के बाद से ही आने वालों पर्यटकों की संख्या में लगातर बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यानी 2022 में पहाड़ों की रानी मसूरी आने वाले पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखने को मिली। 2022 में मसूरी 11 लाख 73 हजार से अधिक लोग घूमने आए।
लगातार बढ़ रहा प्रदूषण
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बड़ी संख्या में यहां आने वाले पर्यटकों, अनियमित व अनियंत्रित निर्माण, अत्यधिक अपशिष्ट उत्पादन, स्वच्छता और सीवेज समस्याओं के चलते पानी की कमी, सड़कों पर भीड़भाड़ और यातायात जाम की वजह से मसूरी में प्रदूषण बढ़ रहा है। गढ़वाल हिमालय श्रृंखला की तलहटी में स्थित मसूरी भूकंपीय जोन 4 में है।