सामरिक महत्व का बदरीनाथ हाईवे जोशीमठ भू-धंसाव की जद में आ चुका है। राजमार्ग परआईं बड़ी-बड़ी दरारें चिंता का कारण बन गई हैं। यदि दरारें नहीं थमीं तो हाईवे का एक बड़ा हिस्सा कभी भी जमींदोज हो सकता है। ऐसे हालात में भारतीय सेना चीन की सीमा से कट सकती है।
सीमांत जिले चमोली के जोशीमठ से बदरीनाथ की दूरी करीब 46 किमी है। बदरीनाथ से आगे का रास्ता चीन सीमा की ओर जाता है। चीन सीमा पर घुसपैठ की चुनौती को देखते हुए केंद्र सरकार का जोर सीमा पर सड़कों का नेटवर्क तैयार करने पर है।
इसके साथ ही बदरीनाथ हाईवे के चौड़ीकरण का कार्य भी चल रहा है। मकसद यही है कि सड़कें इतनी चौड़ी और सुविधाजनक हों कि संकट की स्थिति में भारतीय सेना अपने पूरे साजो सामान के साथ सहजता और तेजी के साथ सीमा पर पहुंच सके।
हालांकि विकल्प के तौर पर बन रहे हेलंग बाइपास का निर्माण भी हो रहा है, लेकिन फिलहाल उसके निर्माण पर भी रोक लग गई है। जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव ने प्रभावित परिवारों की ही नहीं बल्कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की पेशानी पर भी बल डाल दिए हैं।
कहां तो बीआरओ यह प्रयास कर रहा है कि हाईवे के चौड़ीकरण का काम शुरू हो ताकि सेना चीन बॉर्डर पर सहजता से पहुंच सके, लेकिन इस भू-धंसाव का असर हाईवे पर साफ दिखाई दे रहा है। हाईवे में गहरी दरारें आ गई हैं। पिछले दो दिनों में दरारें कुछ ज्यादा गहरी हुई हैं।
देहरादून से अध्ययन करने जोशीमठ पहुंचे विशेषज्ञ दल ने भी राजमार्ग का मुआयना किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भूस्खलन यदि रुका नहीं तो किसी भी समय यह हाईवे को भारी नुकसान हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो हमारी सेना चीन की सीमा से कट जाएगी। इस लिहाज से यह चिंता का विषय है। ये बेहद संवेदनशील मामला है।
विशेषज्ञ जोशीमठ का भ्रमण कर रहे हैं। वे देख रहे हैं कि कहां कितनी गहरी दरारें आई हैं। राजमार्ग के हालात देखकर वे चिंतित हैं और उनके चेहरों पर पसरी चिंता साफ बता रही कि स्थिति सामान्य नहीं है। ये सब क्यों हो रहा है, इसका जवाब अभी उनके पास नहीं हैं। कोई भी यह बताने को तैयार नहीं है कि आखिर यह कैसे हो रहा है?