सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के नए संविधान में बने कूलिंग ऑफ पीरियड के नियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है. अदालत ने इस संबंध में बीसीसीआई की याचिका पर सुनवाई के बाद यह साफ कर दिया कि कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाए बगैर एक अधिकारी 12 साल तक अपने पद पर रह सकता है. इसके तहत राज्य क्रिकेट संघ में 6 साल और बीसीसीआई में 6 साल का कार्यकाल शामिल हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने कहा कि लेकिन इसके बाद हर हाल में अधिकारियों को कूलिंग ऑफ पीरियड के तहत 3 साल के ब्रेक पर जाना ही होगा.
अदालत के इस फैसले के बाद बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और सचिव जय शाह (Jay Shah) बोर्ड में अपनी लगातार दूसरी पारी के योग्य हो गए हैं. लेकिन अदालत के इस फैसले के बावजूद सौरव गांगुली दोबारा अध्यक्ष बनते नहीं दिख रहे हैं. दरअसल सौरव गांगुली और अन्य सदस्य बोर्ड में अपना एक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और अब दूसरे कार्यकाल से पहले उन्हें दोबारा चुनाव लड़ना होगा.
बीसीसीआई सदस्यों का संघ है और अब योग्यता का पैमाना भी बदल गया है, जिससे कुछ और लोग भी इन पदों के लिए योग्य हो गए हैं. ऐसे में बीसीसीआई के सदस्य ही मिलकर यह तय करेंगे कि क्या वह सौरव गांगुली को दोबारा अध्यक्ष पद पर चुनने को तैयार हैं या नहीं. क्या सौरव गांगुली और सचिव जय शाह को उनके पदों पर बरकरार रखा जाए अथवा नहीं इसका फैसला बीसीसीआई की सालाना आम बैठक (AGM) में ही होगा.
बीसीसीआई अदालत से मंजूरी मिलने के बाद इस नियम में संशोधन करने के बाद अपनी सालाना आम बैठक (AGM) बुलाएगा, जिसमें नए चुनाव का नोटिस जारी किया जाएगा. इसके तहत सौरव गांगुली और जय शाह समेत अन्य अधिकारियों को बोर्ड में बने रहने के लिए एक बार फिर चुनाव जीतना होगा. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 15 राज्य संघ मौजूदा सचिव जय शाह को नया बीसीसीआई अध्यक्ष बनाने के पक्ष में हैं. अगर ऐसा है तो फिर अध्यक्ष पद से सौरव गांगुली की विदाई तय है.
इस बीच बीसीसीआई की एक नजर आईसीसी चुनावों पर भी है, जो नवंबर में होने हैं. आईसीसी के मौजूदा चेयरमैन ग्रेग बार्कले ने इच्छा जताई है कि वह आईसीसी में अध्यक्ष पद पर एक और कार्यकाल चाहते हैं. लेकिन बीसीसीआई संभवत: यहां अपने किसी सदस्य को लाने का इच्छुक हो सकता है.