75 दिन, 10 एनकाउंटर और 15 बदमाशों को किया ‘लंगड़ा’, दिल्ली पुलिस का भौकाल!
Report : Rohit Kumar
नई दिल्ली : आए दिन पुलिस और बदमाशों के बीच एनकाउंटर की खबरें आती हैं। गैंगस्टरों के गुर्गे और लूटमार करने वाले बदमाश पुलिस पर फायरिंग करने से भी नहीं चूकते। पुलिस को सेल्फ डिफेंस में इन पर गोली चलानी पड़ती है। इस साल ढाई महीने में दिल्ली पुलिस ने 10 ऐसे एनकाउंटर किए, जिनमें पुलिस 15 बदमाशों को ‘लंगड़ा’ कर चुकी है।
पुलिस को रखना होता है कई कानूनी पहलुओं का ध्यान
पुलिस के आला अफसर के मुताबिक पुलिस को मानवाधिकार समेत तमाम कानूनी पहलुओं का ध्यान रखना होता है। हमेशा कोशिश रहती है कि खूंखार बदमाशों को बगैर खून-खराबे के काबू कर लिया जाए, लेकिन बदमाश गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस टीम पर फायर कर देते हैं। पुलिस के पास सेल्फ डिफेंस में गोली चलाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता है। टारगेट हमेशा कमर से नीचे रहता है। इसलिए बदमाशों के पैरों में गोली मारी जाती है।
गैंगस्टरों को ‘हीरो’ मान अपराध की दुनिया में आ रहे नए लड़के
पुलिस सूत्र बताते हैं कि दिल्ली की जेलों में बैठे गैंगस्टरों को ‘हीरो’ मानते हुए नए-नए लड़के अपराध की दुनिया में आ रहे हैं। सोशल मीडिया में हिट होने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। इनके पास खोने को कुछ नहीं होता है। ये पुलिस पर फायरिंग करने में जरा भी देर नहीं करते हैं। ऐसे में काफी अलर्ट रहना पड़ता है। इसलिए निशाना हमेशा बदमाशों के पैर रहते हैं।
दिल्ली का बहुचर्चित फर्जी एनकाउंटर
तत्कालीन एसीपी सत्यवीर राठी की लीडरशिप में 31 मार्च 1997 में कनॉट प्लेस में दिन-दहाड़े दो कारोबारियों को गोली मार दी गई थी, जिनकी मौत हो गई थी। पुलिस का दावा था कि यूपी के गैंगस्टर यासीन के धोखे में ये सब हुआ। कार से भी फायरिंग हुई थी, इसलिए गोली चलानी पड़ी। जांच में पुलिस का दावा गलत निकला। 10 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद हुई, जो 16 साल जेल में रहने के बाद 2020 में जेल से बाहर आए।
इंस्पेक्टर शहीद, फिर भी मचा बवाल
दिल्ली में सितंबर 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपियों के बटला हाउस में छिपे होने की खबर मिली थी। एनकाउंटर में स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा शहीद हो गए थे। कई मानवाधिकार संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस मुठभेड़ को फर्जी करार दिया। पूरे देश में इसे लेकर बहस होने लगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से रिपोर्ट मांगी, जिसने जुलाई 2009 में दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट दी।
एनकाउंटर, जिनमें जख्मी हुए बदमाश
14 मार्च बांग्लादेशी डकैत मेहराज उर्फ मिराज को क्राइम ब्रांच ने द्वारका के करीब गोली मार कर किया जख्मी। इसका साथी शाहिद भी दबोचा।
12 मार्च नॉर्थ ईस्ट जिला पुलिस ने हाशिम बाबा गैंग के आरिफ उर्फ खालिद, अली फाहद और अल-शेहजान उर्फ तोता को 13-13 राउंड फायरिंग के बाद पकड़ा।
6 मार्च द्वारका जिला पुलिस ने सतीश उर्फ साका और सोनू नाम के बदमाशों के फायर खोलने पर जवाबी कार्रवाई में सतीश के पैर में गोली मारी।
5 मार्च द्वारका जिला पुलिस ने छावला इलाके में वॉन्टेड बदमाश रवि शर्मा के फायर खोलने पर जवाबी कार्रवाई करते हुए किया जख्मी।
27 फरवरी स्पेशल सेल ने दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल के मर्डर में वॉन्टेड बदमाश शाकिर को 11 साल बाद नूंह में गोली मारकर दबोचा।
23 फरवरी आउटर जिला पुलिस ने टिल्लू ताजपुरिया गैंग के गुर्गे रोहित, मोहित और सिद्धार्थ को अलीपुर में पकड़ा। रोहित और मोहित को गोली लगी।
22 फरवरी क्राइम ब्रांच ने न्यू उस्मानपुर में हाशिम बाबा गैंग के आमिर उर्फ सलीम उर्फ टिल्लन और दानिश उर्फ सुल्तान उर्फ पप्पू को घायल किया।
11 फरवरी क्राइम ब्रांच ने काला जठेड़ी-प्रियव्रत गैंग के अजय जून उर्फ बब्बू को शाहबाद डेरी इलाके से पकड़ा, जिसके पैरों में दो गोलियां मारी गईं।
22 जनवरी क्राइम ब्रांच ने जेल में बंद कपिल मान उर्फ कल्लू के कहने पर नोएडा में हत्या करने वाले कुलदीप और कादिर को गोली मार पकड़ा।
3 जनवरी क्राइम ब्रांच ने हिमांशु भाऊ-नवीन बाली के गुर्गे कपिल उर्फ मोटा और राहुल को छावला में पकड़ा, जिसमें कपिल गोली से जख्मी हुआ।