12 करोड़ की साइबर ठगी- बांसवाड़ा में बैंक खातों का किया गया दुरुपयोग, प्रबंधक और पूर्व कर्मचारी गिरफ्तार

बांसवाड़ा (राजस्थान)। बांसवाड़ा साइबर थाना पुलिस ने एक बड़े साइबर ठगी रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें लंबे समय से निष्क्रिय बैंक खातों का उपयोग कर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया। इस मामले में पुलिस ने एक निजी बैंक के प्रबंधक और पूर्व कर्मचारी को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने मिलकर करीब 12 करोड़ रुपये की ठगी की।
साइबर थाना प्रभारी देवीलाल मीणा ने बताया कि डडूका गांव के निवासियों संदेश शाह, तनेश शाह और शीतल जैन ने आमजा गांव निवासी दिव्यांशु सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के अनुसार दिव्यांशु, यस बैंक में अस्थाई कर्मचारी के तौर पर कार्यरत था। उसने अपने जान-पहचान के लोगों के नाम पर बैंक खाते खुलवाए और बाद में नौकरी छोड़ दी।
जब खाताधारकों ने खाता बंद कराने की कोशिश की, तो दिव्यांशु ने उनसे एटीएम कार्ड और चेकबुक ले ली और खातों को बंद करने की बजाय उनका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। वह साइबर ठगी से प्राप्त धनराशि को इन निष्क्रिय खातों में ट्रांसफर करवाकर उन्हें सक्रिय रूप से इस्तेमाल करने लगा। इस प्रक्रिया में परतापुर निवासी अमन कलाल की भी सहायता ली गई।
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि इस पूरे षड्यंत्र में बैंक प्रबंधक मेगनेश जैन की भी सक्रिय भूमिका थी, जो फ्रीज किए गए खातों को बिना किसी आधिकारिक अनुमति के दोबारा सक्रिय करवा देता था, जिससे आरोपी ठगी की राशि निकाल सकें। आरोपियों ने रकम निकालने के लिए हर बार एक सीमित समूह को ही बैंक भेजा, और 10 लाख रुपये से अधिक का ट्रांजेक्शन एक बार में नहीं किया, ताकि कोई संदेह न हो।
जांच में सामने आया कि आरोपी देश के कई राज्यों—गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा, केरल, तेलंगाना, गोवा, बिहार, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिम बंगाल—के नागरिकों को निशाना बनाकर ठगी करते थे। अब तक इन राज्यों में 44 मामले दर्ज हो चुके हैं।
पुलिस का मानना है कि फरार आरोपी अमन कलाल अपनी पत्नी के साथ हाल ही में दुबई गया है, जिससे यह आशंका भी जताई जा रही है कि साइबर ठगी का यह नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला हो सकता है।
शिकायतें और दर्ज मामले:
इस मामले में भचड़िया, डडूका, आमजा, चौपासाग और सिंधी कॉलोनी के निवासियों के बैंक खातों के माध्यम से कुल 34 साइबर ठगी की शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से प्रत्येक खाताधारक के विरुद्ध 1 से लेकर 8 तक मामले दर्ज हैं।