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पत्नी ने 16 तक छुपाई रखी ये गंभीर बीमारी, दिल्ली हाईकोर्ट से पति को मिला तलाक

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को पत्नी की मानसिक बीमारी के आधार पर 16 साल पुरानी शादी को खत्म करने की मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा कि मानसिक बीमारी से ग्रस्त पत्नी के साथ रहना आसान नहीं है। इस मामले में पत्नी ने पति से अपनी मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया को छुपाया था। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने पति की याचिका यह फैसला सुनाया।

बेंच ने कहा कि शादी केवल हैप्पी मेमरी से नहीं बनती है। एक शादी में दो लोगों को चुनौतियों का, विपरीत परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है। कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे साथी के साथ रहना आसान नहीं है, जिसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं। इस तरह की बीमारियों का सामना करने वाले व्यक्ति के लिए अपनी चुनौतियां होती है। इससे भी ज्यादा उस जीवनसाथी के लिए होती हैं जो उसके साथ रहता है। ऐसे में दोनों लोगों के बीच बेहतर रूप से आपसी समझ व तालमेल होना चाहिए।

हाईकोर्ट ने शादी से पहले अपनी मेंटल हेल्थ का खुलासा करने में पत्नी की विफलता पर भी विचार किया। कोर्ट ने यह माना की याचिकाकर्ता (पति) के साथ धोखा हुआ है। कोर्ट ने इस बात को माना कि पत्नी ने कभी भी पति को अपनी बीमारी के बारे में नहीं बताया। इसके बजाय इसे सिर्फ सिरदर्द ही कहा। कोर्ट ने कहा कि सिरदर्द अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। वे केवल एक बीमारी के लक्षण हैं। इस मामले में दूसरे पक्ष ने यह नहीं बताया कि किस कारण से उसे इतना गंभीर और लगातार सिरदर्द हुआ। इसकी वजह से उसकी पढ़ाई कमजोर पड़ गई।

कोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल बोर्ड के एक्सपर्ट के जरिये पत्नी के मेडिकल टेस्ट से इनकार करने से यह निष्कर्ष निकलता है कि वह मेडिकल बोर्ड का सामना करने के लिए तैयार नहीं थी। उसे पता था कि इससे उसकी मानसिक स्थिति का पता चल सकता था। आरोप है कि वह सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसा जीवनसाथी – जो किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित नहीं होने का दावा करता है – जिसने दाम्पत्य अधिकारों की बहाली के लिए एक याचिका को प्राथमिकता दी है, और अपीलकर्ता पति के साथ रहने की इच्छा व्यक्त करता है, ऐसे मेडिकल टेस्ट से क्यों नहीं गुजरना चाहिए?

हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी और उसके पिता के आचरण से ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि पति का जीवन बर्बाद हो गया है। वह बिना किसी कमिटमेंट के 16 साल से इस रिश्ते में फंसा हुआ है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्षों में वैवाहिक आनंद की बजाय न केवल प्रतिवादी, बल्कि उसके पिता की जिद का परिणाम भुगतना पड़ा।

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