देश में कब और क्यों मनाया जाता है संविधान दिवस? पढ़ें- आखिर क्यों है खास
देश में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस (Constitution Day 2022) या राष्ट्रीय कानून दिवस मनाया जाता है। यह खास दिन 1949 के ऐतिहासिक दिन को दर्शाता है जब संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को अपनाया गया था। भारतीय संविधान कई मायनों में विश्व के अन्य देशों के संविधान से अलग है लेकिन विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान होने इसे अन्य देशों से बेहद अलग बनाता है। हमारे संविधान को बनने में 2 साल से भी अधिक समय लग गया था। इस आर्टिकल के माध्यम से हम संविधान दिवस पर इसके इतिहास और इससे जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
1946 में शुरू हुआ निर्माण
भारत जब एक स्वतंत्र देश बना तो उसके बाद संविधान निर्माण कार्य शुरू किया गया। संविधान बनाने का कार्य 1946 में स्थापित संविधान सभा को दिया गया था जिसे डॉ बीआर अंबेडकर की अध्यक्षता वाली एक समिति को संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था। आपको जानकारी दे दें कि 1946 में स्थापित संविधान सभा के अध्यक्ष भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे।
1948 की शुरुआत में, डॉ अम्बेडकर ने भारतीय संविधान का ड्राफ्ट पूरा किया और इसे संविधान सभा में प्रस्तुत किया। उसके बाद भारतीय संविधान के ड्राफ्ट में कुछ बदलाव किए गए और इसे पूरे देश ने अपना लिया था। भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ, जिसे हर साल पूरा देश गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है।
भारतीय संविधान 1,17,360 शब्दों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान लचीलेपन और कड़कता का बैलेंस है। उदाहरण के लिए अगर संविधान में नागरिकों के हित के लिए अगर कोई बदलाव जरूरी है तो उसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
संविधान दिवस का महत्व
संविधान दिवस (Constitution Day) सभी भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश में ब्रिटिश शासन के अंत का प्रतीक है। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बावजूद जब तक कि 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू नहीं हुआ, यह अगले तीन वर्षों तक ब्रिटिश डोमिनियन बना रहा। यह दिन भारतीय संविधान के महत्व पर जोर देता है और यह बताता है कि देश के नागरिकों के लिए संविधान क्यों आवश्यक है।