उत्तराखंड में आफत बन बरस रही भारी बारिश से आम जनजीवन प्रभावित है। हरिद्वार की शिवालिक पर्वत माला पर लगातार हो रहे भूस्खलन से मनसा देवी मंदिर की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया। साथ ही बड़ी मात्रा में मलबा गिरने से पहाड़ की तलहटी के नीचे बसी बस्तियों और बाजारों के ऊपर भी खतरा मंडरा रहा है। जिसे रोकने के लिए विज्ञानिकों ने मानसून सीजन के तुरंत बाद मनसा देवी की पहाड़ी के थ्री डी मानचित्रण का ड्रोन सर्वे कराने की सिफारिश की। जिससे भू-तकनीकी सर्वेक्षण समेत क्षेत्र में हो रही भूस्खलन की संपूर्ण जांच कराई जा सके।
उत्तराखंड की तीर्थ नगरी हरिद्वार में पौराणिक मंदिर मनसा देवी और उसकी शिवालिक पर्वत माला खतरे के मुहाने में खड़ी है। मानवीय गतिविधियों के बढ़ते दबाव के कारण यह पहाड़ी कभी भी अपने अस्तित्व को खो सकती है। लगभग 25 सालों से यह पहाड़ी लगातार दरक रही है और रुक रुक कर पत्थरों के गिरने का सिलसिला जारी है। दरअसल, लगातार हो रही अतिवृष्टि से मनसा देवी पहाड़ी के दरकने से उत्तरी हरिद्वार के काली मंदिर के समीप रेलवे ट्रैक, बस्तियों और बाजारों में मलबा आने से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। जिसे देखते हुए जिले के प्रभारी मंत्री सतपाल महाराज ने 2 अगस्त को मनसा देवी स्थल में हो रहे भूस्खलन का स्थलीय निरीक्षण कर अधिकारियों को इसकी रोकथाम के निर्देश दिए थे।
मनसा देवी पर हो रहे भूस्खलन को लेकर भूस्खलन की जियोटेक्निकल, जियोफिजिकल, टोपोग्राफिकल जांच उत्तराखंड लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर (यूएलएमएमसी) और उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर ऑथोरिटी से कराने की बात कही थी। जिस पर यूएलएमएमसी के निदेशक शांतनु सरकार के नेतृत्व में विज्ञाानिकों की टीम ने पहाड़ी का निरीक्षण भी किया था। निरीक्षण और सर्वे बाद टीम ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें मनसा देवी पहाड़ी को बेहद कमजोर बताया गया। जिसके चलते लगातार भूस्खलन हो रहा है।
वहीं इसी पर सुझाव देते हुए बताया कि, प्रभावी नियंत्रण में रिटेनिंग दीवारों का निर्माण, पानी की उचित निकासी, सतह का उपचार, मलबे से भरी पुरानी क्षतिग्रस्त नालियों की मरम्मत, चेक बांधों का पुनर्निर्माण और रेलवे ट्रैक के पास अस्थिर ढलान पर आरसीसी रिटेनिंग दीवार का भी सुझाव दिया है।