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दूरसंचार विधेयक के मसौदे पर ट्राई की आपत्तियां हो चुकी हैं दूर, आशंकाओं के बारे में हुई बातचीत

नयी दिल्ली: दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार विधेयक के मसौदे के कुछ प्रावधानों को लेकर नियामक ट्राई की आपत्तियों पर गौर किया गया है और नियामक को सशक्त बनाने से संबंधित प्रावधानों पर सरकार बाद में विचार कर सकती है।

दूरसंचार विभाग से जुड़े सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।

दरअसल, विधेयक के प्रारूप के कुछ प्रावधानों से भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को अपने अधिकारों में कमी आने की आशंका सता रही है। उसने इस बारे में सरकार से अपनी आपत्तियां भी जताई थीं।

इस बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने कहा कि इन आशंकाओं के बारे में दोनों पक्षों के बीच बातचीत हुई है और सभी बकाया मुद्दों का समाधान निकाला जा चुका है।

सूत्रों ने कहा कि ट्राई और दूरसंचार विभाग के बीच इस मसले पर अब कोई मतभेद नहीं रह गया है।

दूरसंचार विभाग की सोच यह है कि अमेरिकी संघीय संचार आयोग या ब्रिटिश संचार नियामक ऑफकॉम की तर्ज पर ट्राई को भी सशक्त बनाने के लिए जरूरी प्रावधान तीन-चार साल बाद अलग से किए जा सकते हैं। फिलहाल सभी विवादास्पद प्रावधानों को विधेयक के मसौदे से हटाने के बारे में विचार किया जा रहा है।

सरकार ने पिछले महीने इस विधेयक के मसौदे को हितधारकों की प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक किया था। इसमें दूरसंचार एवं इंटरनेट सेवाप्रदाताओं का शुल्क एवं जुर्माना हटाने का प्रावधान रखा गया है। इसके मुताबिक, अगर कोई सेवाप्रदाता अपना लाइसेंस लौटा देता है तो उससे लिए गए शुल्क को लौटाने का प्रावधान है।

इस बीच, दूरसंचार सेवाप्रदाता ‘ओवर-द-टॉप’ (ओटीटी) संचार ऐप को भी नियमन के दायरे में लाए जाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि व्हॉट्सऐप, सिग्नल जैसी कॉलिंग एवं मैसेजिंग सेवाएं देने वाले ऐप को भी दूरसंचार कंपनियों की ही तरह लाइसेंस नियमों के दायरे में लाया जाना चाहिए।

ओटीटी संचार ऐप को नियमन के दायरे में लाने की मांग पर दूरसंचार विभाग के सूत्रों ने कहा कि सरकार का ध्यान लाइसेंसिंग नहीं बल्कि उपयोगकर्ता संरक्षा से संबंधित नियमन पर है। सूत्रों ने कहा कि दूरसंचार विधेयक में स्पैम कॉलिंग और साइबर धोखाधड़ी से जुड़े पक्षों पर कड़ी कार्रवाई के प्रावधान किए जाएंगे।

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