फर्जी सिम लेने वालों की खैर नहीं, 138 साल पुराना कानून खत्म; जानें अब क्यों हो सकती है जेल?
देश में 138 साल से लागू इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 बदलने जा रहा है। अब इसकी जगह टेलीकॉम बिल 2023 लेगा। यह बिल गत 19 दिसंबर को सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में पेश किया था, जो ध्वनि मत के साथ पारित भी हो गया। बिल को फाइनल रिव्यू के लिए राज्यसभा में भेजा गया है। कानून बनते ही इसे देश में लागू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही देश में टेलिकॉम सर्विसेज बदल जाएंगी। इस बिल का कनेक्शन आज के डिजिटल युग में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से है। यह बिल टेलीग्राफ एक्ट के साथ-साथ द इंडियन वायरलेस टेलीग्राफ एक्ट 1933, टेलीग्राफ वायर्स एक्ट 1950 की भी जगह लेगा। यह TRAI एक्ट 1997 में भी जरूरी संशोधन करेगा। इसके अलावा नया टेलिकॉम एक्ट बनने से 3 बड़े बदलाव भी होंगे, जानिए…
फर्जी सिम नहीं खरीद पाएंगे लोग
नए बिल में प्रावधान किया गया है कि लोग फर्जी सिम नहीं खरीद पाएंगे। सिम खरीदने वाले की पहचान करना अनिवार्य होगा। सिम ग्राहक की बायोमीट्रिक पहचान करनी जरूरी होगी। ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई होगी। वहीं फर्जी सिम लेने पकड़े जाने पर 3 साल की जेल की सजा होगी। 50 लाख रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान भी किया गया है।
प्रमोशनल मैसेज-कॉल्स खत्म होंगी
नया टेलीकॉम बिल लागू होने से लोगों को अनचाही कॉल्स और मैसेज से छुटकारा मिल जाएगा। कॉल्स करने वालों पर 50 हजार जुर्माना लगेगा। इसके बाद भी बार-बार कॉल करने पर जुर्माना 2 लाख तक पहुंच जाएगा। इसके बाद भी कॉल की जाती हैं तो कॉल करने वालों के कनेक्शन बंद कर दिए जाएंगे। ग्राहक को गुड्स, सर्विसेज के लिए विज्ञापन और किसी भी तरह का प्रमोशनल मैसेज भेजने से पहले उसकी मंजूरी लेनी होगी। टेलीकॉम कंपनियों को ऑनलाइन मैकेनिज्म बनाना होगा, ताकि कंज्यूमर्स ऑनलाइन कंप्लेंट कर सकें।
लाइसेंस लेने का सिस्टम बदल जाएगा
नए बिल के तहत लाइसेंसिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव होगा। अभी सर्विस प्रोवाइडर्स को ग्राहकों को सेवाएं देने के लिए अलग-अलग लाइसेंस, परमिशन्स लेने पड़ती हैं। पंजीकरण कराने पड़ते हैं। 100 से ज्यादा लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन टेलीकॉम डिपार्टमेंट जारी करता है, जिसके लिए अब अलग से आवेदन नहीं करने पड़ेंगे।
स्पेक्ट्रम को लेकर कई नये नियम बने
सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के स्पेक्ट्रम देने की व्यवस्था भी बदलेगी। अगर स्पेक्ट्रम इस्तेमाल नहीं हो रहा तो सरकार उसे वापस ले सकेगी। स्पेक्ट्रम की शेयरिंग, ट्रेडिंग और लीजिंग संभव होगी। अगर स्पेक्ट्रम इस्तेमाल नहीं हो रहा तो कंपनियां उसे सरेंडर कर सकेंगी, लेकिन इसके बदले में पैसे वापस नहीं मिलेंगे।
बिल के तहत किए गए अन्य प्रावधान
- टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाने वाले को 3 साल की सजा देने का प्रावधान किया गया है।
- ऑप्टिक फाइबर तारें काटने-चुराने, टॉवर को नुकसान पहुंचाने पर 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगेगा।
- किसी के डाटा नेटवर्क में सेंध मारने पर जुर्माना लगेगा। देश-विदेश के हैकर्स पर भी यह कानून लागू होगा।
- बिल के तहत TRAI का चेयरपर्सन बनने के लिए कम से कम 30 साल का प्रोफेशनल एक्सपीरियंस जरूरी होगा।
- TRAI का मेंबर बनने के लिए कम से कम 25 साल का प्रोफेशनल एक्सपीरियंस अनिवार्य होगा।
OTT-व्हाट्सऐप, टेलीग्राम दायरे से बाहर
नए टेलीकॉम बिल के दायरे में ओवर-द-टॉप सर्विस जैसे ई-कॉमर्स, ऑनलाइन मैसेजिंग ऐप, WhatsApp, Signal, Zoom, Skype, Google और Telegram नहीं आएंगी। हालांकि बिल के ड्राफ्ट में इन्हें शामिल किया गया था, लेकिन इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और सिविल सोसाइटियों ने काफी हंगामा किया था। हंगामे के बाद OTT को बिल से बाहर कर दिया गया। OTT का कंट्रोल मिनिस्ट्री ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी तक की सीमित रहेगा।
सरकार को यह अधिकार मिल जाएंगे
नए टेलीकॉम बिल के कानून बनकर लागू होते ही सरकार को अधिकार मिल जाएगा कि वह किसी भी स्थिति में टेलीकॉम सर्विस या नेटवर्क को मैनेज, सस्पेंड या टेक ओवर कर सकती है। नेशनल सिक्योरिटी और डेफेंस के लिए रेडियो वेव आवंटित करने का अधिकार मिल जाएगा। सरकार मौसम के पूर्वानुमान के लिए भी रेडियो वेव एलोकेट कर पाएगी। ट्रांसपोर्ट, DTH जैसी सैटेलाइट सर्विस को रेडियो वेव अलॉट करने का अधिकार मिलेगा। पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के लिए BSNL/MTNL को सरकार रेडियो वेव आवंटित कर पाएगी। सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के किसी के मैसेज को ट्रैक कर पाएगी। किसी भी मैसेज का ट्रांसमिशन रोक पाएगी। टेलीकॉम कंपनियों को जनहित में कोई मैसेज भेजने का निर्देश दे सकेगी।