अंतर्राष्ट्रीय

सलमान रुश्दी के हमलावर का हाथ चूमा जाना चाहिए… ईरान के अखबार ने की तारीफ

Salman Rushdie:  ईरान में कई कट्टरपंथी समाचार पत्रों ने शनिवार को लेखक सलमान रुश्दी के हमलावर की जमकर तारीफ. कट्टरपंथी काहान अखबार के एडिटर इन चीफ ने लिखा- न्यू यॉर्क में सलमान रुश्दी पर हमला करने वाले बहादुर और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति को एक हजार बार सलाम. उन्होंने आगे लिखा- भगवान के दुश्मन की गर्दन चीरने वाले व्यक्ति का हाथ चूमा जाना चाहिए. ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्लाह अली खुमैनी ने एडिटर इन चीफ को नियुक्त किया है.

वहीं असर ईरान न्यूज वेब साइट ने शनिवार को खुमैनी का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने जो तीर छोड़ा है, वह एक दिन अपने लक्ष्य से जरूर टकराएगा. वतन इमरोज अखबार ने हमले की खबर की हेडलाइन दी: “सलमान रुश्दी के गले में चाकू”. वहीं खोरासान ने हेडलाइन दी- “नरक के रास्ते जाने पर शैतान.” हालांकि सलमान रुश्दी पर हमले के बाद अभी तक ईरान की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.

हमलावर पर दूसरी डिग्री में हत्या के प्रयास का केस दर्ज

मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया कि सलमान रुश्दी के हमलावर हादी मटर पर दूसरी डिग्री में हत्या के प्रयास का आरोप लगाया गया है. हमलावर को चौटौक्वा काउंटी जेल रखा गया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस ने कहा कि वह लेखक सलमान रुश्दी पर क्रूर हमले से स्तब्ध और दुखी हैं. उन्होंने इस हमले को कायरतापूर्ण और घृणित बताया.

‘रुश्दी पर हमले के बारे में हिज्बुल्लाह को जानकारी नहीं’

ईरान समर्थित लेबनानी सशस्त्र समूह हिज्बुल्लाह के एक अधिकारी ने शनिवार को कहा कि उसके संगठन के पास लेखक सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला करने के बारे में कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं है.

हिज्बुल्लाह को ईरान का समर्थन हासिल है. इस संगठन के सर्वोच्च नेता रहे अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने 1988 में एक फतवा जारी कर मुसलमानों से ईशनिंदा के लिए रुश्दी को मारने का आह्वान किया था.

सलमान रुश्दी पर 24 साल के हादी मटर ने हमला किया था. हमलावर मूल रूप से लेबनान का रहने वाला है. वहीं यारून के मेयर अली तेहफे से जब यह पूछा गया कि क्या मटर या उसके माता-पिता हिज्बुल्लाह से जुड़े थे या समर्थित थे, इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि वे विदेश में रहते थे.

रुश्दी पर रखा था 3 मिलियन डॉलर का इनाम

सलमान रुश्दी पर हुए जानलेवा हमले के बाद ईरान की चर्चा ऐसे ही नहीं हो रही. 75 साल के सलमान रुश्दी को उनके उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रन के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बुकर पुरस्कार जीतने के बाद

सलमान रुश्दी ने ‘द सैटेनिक वर्सेज’ (The Satanic Verses) नाम का एक उपन्यास लिखा. 1988 में प्रकाशित इस पुस्तक को लेकर विवाद खड़ा हो गया.  1989 में  ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने इसे इस्लाम धर्म का अपमान बताया और सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया.

अयातुल्लाह खुमैनी ने सलमान रुश्दी को मारने वाले के लिए तीन मिलियन अमेरिकी डॉलर के इनाम का ऐलान किया गया था. खुमैनी के फतवे का असर 13 देशों में साफ देखने को मिल रहा था.

फतवे के बाद सलमान रुश्दी को नौ साल तक छिपकर रहना पड़ा. बाद में ईरान की ओर से ये कहा गया कि वह सलमान रुश्दी को मारने का समर्थन नहीं करता. हालांकि 2012 में ईरान के एक संगठन ने सलमान रुश्दी को मारने वाले के लिए इनामी राशि 3 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 3.3 मिलियन डॉलर करने का ऐलान कर दिया.

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