नरबलि के दोषी तांत्रिक, साले और बहनोई को उम्रकैद की सुनाई सजा - न्यूज़ इंडिया 9
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नरबलि के दोषी तांत्रिक, साले और बहनोई को उम्रकैद की सुनाई सजा

हमीरपुर। हत्या के सात साल पुराने मामले में विशेष न्यायाधीश (डकैती) अनिल कुमार खरवार की अदालत ने नरबलि के दोषी तांत्रिक, साल और बहनोई को उम्रकैद की सजा सुनाई है। प्रत्येक पर पांच हजार का अर्थदंड भी लगाया है। मूलरूप से कुरारा थानाक्षेत्र के पतारा गांव निवासी हाल मुकाम मोहल्ला चांद थोक, सुमेरपुर निवासी जितेंद्र कुमार ने बताया कि उसके पिता घनश्याम वारदात के पांच वर्ष पूर्व साधू बन गए थे। 15 अगस्त 2017 को उसके पिता बांक गांव निवासी सुंदरलाल कुशवाहा उर्फ सदगुरु (तांत्रिक साधू) के यहां गए थे।

फोन पर पिता ने सुबह घर आने के लिए कहा था, लेकिन वह नहीं आए। उनका मोबाइल भी बंद बताने लगा। 17 अगस्त की दोपहर तांत्रिक के घर के बगल में खंडहर में उनका शव पड़ा मिला था। गले में चोटों के निशान थे। पुलिस ने मृतक के बेटे जितेंद्र की तहरीर पर तांत्रिक व उसके दो अन्य शिष्यों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। इनमें बांदा के अतर्रा मोहल्ला लालथोक निवासी प्यारेलाल प्रजापति (जीजा) व एमपी के पन्ना, माधवगंज निवासी रामकिशोर प्रजापति (साला) के खिलाफ अंधविश्वास में हत्या करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया। इसके बाद कोर्ट ने तीनों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।

तांत्रिक सुंदरलाल 15 वर्षों से खुद को सदगुरु व अवतार बताते हुए लोगों से उसकी पूजा अर्चना करने का दबाव बनाता था। उसके इसी मायाजला की गिरफ्त में घनश्याम आ गया था। लोडर चालक घनश्याम को शिष्य बनाकर उसका नाम सोहंगदेव उर्फ श्याम बाबा रख दिया था। जून में गांव में यज्ञ भंडारे के बाद गुरु व शिष्य के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया था।
इस पर शिष्य ने गुरु से नाता तोड़ लिया। कई बार शिष्य को मनाने का प्रयास किया, लेकिन न मानने पर गुरु तांत्रिक ने जुलाई में समाधि लेने की घोषणा की। एक माह बाद जन्माष्टमी के दिन अपने अन्य शिष्यों के माध्यम से शिष्य सोहंगदेव उर्फ घनश्याम को बुला लिया। गांव के बाहर बने यज्ञशाला पर जाकर ढोंग करने के बाद शिष्य की बलि के नाम पर घनश्याम की हत्या कर दी थी। शव को खंडहर में छिपाकर परिवार सहित फरार हो गया था।
सात वर्ष पूर्व हुई इस हत्या में कोर्ट ने गुरु के साथ उसके शिष्य बहनोई व साले को उम्रकैद की सजा सुनाने के मामले में मृतक के परिजनों ने कोर्ट पर भरोसा जताते हुए संतोष व्यक्त किया। मृतक की पत्नी रजोला देवी व पुत्र जितेंद्र ने खुशी जताते हुए बताया कि दोषियों ने रात में सोहंगदेव उर्फ श्याम की बलि चढ़ाकर निर्वस्त्र शव घर के पास खंडहर में फेंक दिया था। शव से बदबू आने के बाद ग्रामीणों ने चौकीदार के माध्यम से पुलिस को अवगत कराया था। कहा अगर तीनों को फांसी होती तो और अच्छा रहता। अदालत ने उनके कर्मों की सजा सुनाकर न्याय किया है।

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