पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एडमिशन : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले को रखा बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र ने पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एडमिशन में के लिए सेवारत अधिकारियों के लिए 20 फीसदी रिजर्वेशन प्रदान करने संबंधी राज्य सरकार के फैसले को गुरुवार को बरकरार रखा. जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की इस दलील को स्वीकार करना कठिन है कि बीच में ही नियमों में बदलाव के कारण सरकार का प्रस्ताव चालू शैक्षणिक वर्ष में लागू नहीं होना चाहिए. Supreme Court में पीठ ने कहा, हमारा विचार है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है.
देश की शीर्ष अदालत, हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ कुछ उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया गया था. महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव में कहा गया था, शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से राज्य के शासकीय एवं नगरीय मेडिकल कॉलेजों में पीजी मेडिकल एवं डिप्लोमा कोर्सेज में एडमिशन के लिए सेवारत उम्मीदवारों के लिए 20 फीसदी सीट आरक्षित करने को सरकार की मंजूरी प्रदान दी जा रही है.
इस तरह NEET PG एग्जाम क्लियर करने के बाद पीजी मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन लेने वाले ऐसे एमबीबीएस स्टूडेंट्स को बड़ी राहत मिलने वाली है.
उद्धव सरकार ने किया था आरक्षण का ऐलान
दरअसल, महाराष्ट्र की मेडिकल एजुकेशन मिनिस्ट्री ने सितंबर के आखिर में ऐलान किया गया था कि पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एडमिशन के लिए सेवारत मेडिकल अधिकारियों को 20 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा.
यहां गौर करने वाली बात ये है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने ऐलान किया था कि एमबीबीएस के जिन उम्मीदवारों ने जिला अस्पतालों में कम से कम तीन साल काम किया है. उन्हें पीजी मेडिकल एडमिशन में 25 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. हालांकि, अब वर्तमान सरकार द्वारा 20 फीसदी आरक्षण देने की बात कही गई.
2017 में बंद हुआ था रिजर्वेशन
एमबीबीएस डिप्लोमा कोर्सेज के बाद सेवारत मेडिकल अधिकारियों को 2017 तक 50 फीसदी आरक्षण दिया जाता था. वहीं, मेडिकल ऑफिसर्स को सूदूर और चुनौतीपूर्ण इलाकों में काम करने पर एडिशनल मार्क्स भी दिए जाते थे. हालांकि, डिप्लोमा कोर्सेज की घटती मांग को देखते हुए आरक्षण को 2017 में बंद कर दिया गया.