6 सालों की मेहनत के बाद मिली कामयाबी, कैमरे में कैद हुआ हिमतेंदुआ
धारचूला : भारत चीन सीमा पर स्थित उच्च हिमालयी घाटियों में नजर आने वाले हिमतेंदुआ पहली बार कैमरे में कैद हुआ है। यह कार्य दि हिमालयन राइड के युवाओं ने किया है। पिछले छह सालों से हिमतेंदुआ को कैमरे में कैद करने का युवाओं सपना बीते सप्ताह पूरा हो सका है।
कहां रहते हैं ये हिमतेंदुवें
कुमाऊं के उच्च हिमालय दारमा में पहली बार हिमतेंदुवे को कैमरे में कैद किया गया। हिमतेंदुआ चार हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर जहां पौधें नहीं के बराबर होते हैं और पथरीली चट्टानें होती हैं वहां उनका प्राकृतिक आवास होता है। यह सब व्यास, दारमा और जोहार घाटी में है, परंतु हिमतेंदुओं की गणना नहीं होने से इनकी वास्तविक संख्या का पता नहीं है।
6 सालों से कर रहे थे खोज
हिमतेंदुओं की गणना के लिए लंबे समय तक हिमपात के दौरान क्षेत्र में रहना पड़ता है। हिमपात अधिक होने से हिमतेंदुवें कुछ नीचे उतरता है तो तभी नजर आता है। इसी क्रम विगत छह वर्षों से व्यास और दारमा में नजर आने वाले हिमतेंदुओं की खोज करने वाले दि हिमालय राइड के जयेंद्र सिंह फिरमाल, दिनेश सिंह बंग्न्याल और सोमी ह्यांकी प्रयास करते रहे हैं। इस दौरान व्यास घाटी और दारमा घाटी में हिमतेंदुवे नजर आए।
…जब पूरा परिवार दिखा था एक साथ
एकाध बार तो हिमतेंदुआ पूरे परिवार के साथ ही नजर आया, परंतु अच्छे कैमरे नहीं होने से हर बार हिमतेंदुवे की फोटो नहीं खींच पाए। इस बार जयेंद्र फिरमाल, दिनेश और सोनी अन्य वर्षों की अपेक्षा कुछ पहले दारमा चले गए और उन्हें हिमतेंदुआ कैमरे में कैद करने को मिला।
कुमाऊं में पहली बार दिखा
यह पहला अवसर है जब कुमाऊं में भी हिमतेंदुआ कैमरे में कैद हुआ है। इससे पूर्व गढ़वाल, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में हिमतेंदुओं की फोटो खींची जा सकी है।
2012 में दिखा था हिमतेंदुआ
वन्य जीवों की खोज एवं संरक्षण के लिए विगत कई वर्षों से उच्च हिमालय में कार्य कर रही मोनाल संस्थान के सुरेंद्र पवार बताते हैं कि उन्हें वर्ष 2012 में मिलम से आगे दुंग क्षेत्र में हिमतेंदुआ दिखा था। इस दौरान भेड़-बकरियों को चराने वालों ने बताया था कि छिपलाकेदार और पंचाचूली के पश्चिमी क्षेत्र में भी हिमतेंदुआ नजर आते हैं।
रेड फाक्स की लगातार बढ़ रही है संख्या
उच्च हिमालय में विगत कुछ समय से वन्य जीव संरक्षण के लिए सक्रिय संस्थाओं के चलते वन्य जीवों की संख्या में वृद्धि हुई है। इस तरह की संस्थाओं द्वारा वन्य जीवों के शिकार पर गहरी रखने और शीतकाल में भी क्षेत्र में सक्रिय रहने से वन्य जीवों की संख्या बढ़ रही है।
जिसका जीता जागता उदाहरण खलिया टाप बना है। जहां पर रेड फाक्स और येलो मार्टिन की संख्या काफी अधिक बढ़ चुकी है। रेड फाक्स खलिया में अब यहां पहुंचने वाले ट्रेकरों और पर्यटकों को नजर आने लगे हैं। येलो मार्टिन जिसे स्थानीय भाषा में चुतरौल कहते हैं काफी संख्या में हैं। दि हिमालयन राइड टीम को भी दारमा में रेड फाक्स, हिमालयी थार, ब्लू शीप व घुरल मिले।
जयेंद्र की टीम को सम्मानित करने की मांग
दारमा में 20 मीटर के दायरे में हिम तेंदुवे की फोटो और वीडियो बनाने वाली दि हिमालयन राइड के सदस्यों जयेंद्र सिंह फिरमाल, दिनेश बंग्न्याल और सोनी ह्यांकी को सम्मानित करने की मांग की जा रही है। स्थानीय जनता ने रं कल्याण संस्था से तीनों युवाओं को सम्मानित कर प्रोत्साहित करने की मांग की है। टीम के जयेंद्र फिरमाल ने बताया कि उनका यह अभियान जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि हिम तेंदुआ दर गांव के ऊपरी हिस्से तक नजर आता है।