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ग्रेटर नोएडा में बच्ची से डिजिटल रेप की 7 CCTV कैमरों की जांच के बाद कोई सुराग नहीं

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के एक प्ले स्कूल में तीन साल की बच्ची से डिजिटल रेप (Digital Rape) के मामले में पुलिस की जांच सात सीसीटीवी कैमरों पर टिकी है। अभी तक देखी गई फुटेज में पुलिस को आरोपी कहीं पर भी दिखाई नहीं दिया है।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट एक प्ले स्कूल में एक अधिकारी की तीन साल की बेटी के साथ डिजिटल रेप की घटना हुई थी। बच्ची इसके बारे में कुछ बता नहीं पा रही है। इसके चलते पुलिस की जांच स्कूल में लगे सात सीसीटीवी कैमरों पर आकर टिक गई है। पुलिस के मुताबिक, स्कूल के गेट से लेकर अंदर तक अलग-अलग जगह कैमरे लगे हुए हैं। पुलिस ने घटना के बाद से इन कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू कर दी है, जिससे कि आरोपी तक पहुंचा जा सके।

एसीपी योगेंद्र सिंह ने बताया कि पुलिस द्वारा पूरी गहनता के साथ एक-एक कैमरे की फुटेज खंगाली जा रही है। परिजनों के सामने भी कुछ कैमरों की फुटेज देखी गई है, लेकिन अभी तक फुटेज में आरोपी दिखाई नहीं दिया है।

क्या है डिजिटल रेप?

डिजिटल रेप शब्द दो शब्दों को जोड़कर बना है जो डिजिट और रेप है। इंग्लिश के डिजिट का मतलब हिंदी में मतलब अंक होता है तो वहीं अंग्रेजी के शब्दकोश में डिजिट अंगुली, अंगूठा, पैर की अंगुली इन शरीर के अंगों को भी डिजिट कहा जाता है। अगर कोई शख्स महिला की बिना सहमति के उसके प्राइवेट पार्ट्स को अपनी अंगुलियों या अंगूठे से छेड़ता है तो ये डिजिटल रेप कहलाता है। यानी जो शख्स अपने डिजिट का इस्तेमाल करके यौन उत्पीड़न करे तो ये डिजिटल रेप कहा जाता है। विदेशों की तरह भारत में इसके लिए कानून बना है।

कब बना कानून

इस अपराध को 2013 के आपराधिक कानून संशोधन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता में शामिल किया गया था। इसे निर्भया अधिनियम (Nirbhaya Act) भी कहा जाता है। साल 2012 में निर्भया केस के बाद से बलात्कार के कानून में कई बदलाव किए गए जिसमें ये भी शामिल था। साल 2013 के बाद बलात्कार का मतलब सिर्फ संभोग तक ही सीमित नहीं रह गया है। अब इसमें कई नियम जुड़ चुके हैं।

इसकी सजा

कानून के अनुसार, अपराधी को कम से कम पांच साल जेल की सजा हो सकती है। कुछ मामलों में, यह सजा 10 साल तक चल सकती है या कुछ मामलों में आजीवन कारावास भी हो सकती है।

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