लारेंस बिश्नोई के शूटर शशांक के दोस्तों की तलाश में गोरखपुर पहुंची एनआइए, करीबियों से की पूछताछ
खालिस्तान और गैंगस्टर नेटवर्क के खिलाफ देश भर में चल रही छापेमारी के क्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) की एक टीम बुधवार को गोरखपुर पहुंची। एनआईए यहां शातिर गैंगेस्टर लॉरेंस बिश्नोई के शॉर्प शूटर शशांक पांडेय की क्राइम कुडंली खंगाल रही है। बिहार के पश्चिमी चंपारण निवासी शशांक यहां कैंट इलाके के सिंघड़िया, आदर्शनगर में रहता था। वह लारेंस और गोल्डी बराड़ गैंग को असलहा भी सप्लाई करता था। पंजाबी सिंगर और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के कुछ दिनों बाद ही शंशाक अंबाला में असलहों के साथ पकड़ा गया था। उसके पहले वह गोरखपुर अपने दोस्तों से मिलने आया था।
एनआईए टीम ने शशांक के पड़ोसियों से पूछताछ के साथ ही उसके दो दोस्तों मालवीय नगर निवासी अमन व शमसुद्दीन से भी जानकारी ली और उसके बाद कुशीनगर रवाना हो गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार शशांक, लारेंस बिश्नोई व गोल्डी बराड़ का शूटर है साथ ही वह गैंग के लिए असलहा भी सप्लाई करता था। पंजाब पुलिस ने शशांक को 24 जुलाई को अंबाला से गिरफ्तार कर उसके पास से आठ पिस्टल बरामद किया था। शशांक का कनेक्शन उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब के गैंगस्टर के साथ रहा है। वह बुलंदशहर से एके-47 खरीदने में जेल भी जा चुका था।
पिता की मौत के बाद पंजाब चला गया शशांक
शशांक मूल रूप से बिहार के पश्चिम चंपारण के मैनाटारा के चुठहा का रहने वाला है। उसके पिता नित्यानंद दस वर्ष पहले नौकरी की तलाश में गोरखपुर आये थे। सिघड़िया के आदर्शनगर स्थित बन्द पड़ी नमकीन फैक्ट्री को खरीद कर वे यहीं रह रहे थे। छह वर्ष पहले नित्यानंद की मौत के बाद शशांक पंजाब चला गया। वहां वह गोल्डी बराड़ व लारेंस विश्नोई के साथ काम करने लगा। उसका नाम पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसे वाला हत्याकांड में भी सामने आया था। पंजाब पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले वह 21 जून 2023 को अपने मालवीय नगर के रहने वाले दो दोस्तों से मिलने गोरखपुर आया था।
पड़ोसी बोले-अचानक अमीर हो गया
पड़ोसियों का कहना है कि वह अचानक अमीर हो गया था। लोगों को रुपये बांटने लगा था। पड़ोसियों के मुताबिक, शशांक इंटर के बाद पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करने मथुरा चला गया था। जबकि उसकी मां गोरखपुर से कमरा छोड़कर अपने गांव चली गई। शशांक तीन भाइयों में इसका सबसे छोटा है। बड़ा भाई विदेश में रहता है जबकि दूसरे नंबर का भाई राहुल बस्ती में ठेकेदारी करता है। पड़ोसियों के मुताबिक दो साल से शशांक का गोरखपुर का मकान बंद पड़ा है।