बन्नी उत्सव में घायल हुए 70 से ज्यादा लोग, जानिए क्या है लाठी से लड़ाई की रस्म
देशभर में बीते दिन बुधवार का बड़े ही धूमधाम से दशहरा का त्योहार मनाया गया, लेकिन कई अप्रिय घटनाओं के कारण जश्न कम हो गया। आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले का प्रसिद्ध बन्नी उत्सव के दौरान हिंसक झड़प हो गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बन्नी उत्सव के दौरान लगभग 800 पुलिसकर्मी तैनात थे, जिनके सामने ही यह झड़प हुई। वहीं पिछले साल भी बन्नी उत्सव के दौरान लगभग 70 लोग घायल हुए थे।
दरअसल आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले में दशहरे के दिन हजारों संख्या में लोग एक जगह एकत्रित होकर दो देवताओं को अपने पाले में रखने के लिए एक-दूसरे के सिर पर लाठियों से वार करते हैं। लोगों का मानना है कि इससे गांव में समृद्धि आती है, लेकिन बन्नी उत्सव के दौरान हर साल हिंसा होती है। हर साल की तरह इस साल भी हिंसा हुई, जिसके कारण 50 लोग घायल हो गए जिनमें से 2 की हालत नाजुक है।
भगवान की मूर्ति को अपने साथ ले जाने के लिए होती है छीना झपटी
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह बन्नी उत्सव मनाने की प्रथा दशकों से चली आ रही है, जिसमें लोग भगवान की मूर्ति को अपने साथ ले जाने के लिए छीना झपटी करते हैं और एक दूसरे के सिर पर लाठियों से वार करते हैं। यह मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले के होलागुंडा मंडल स्थित देवरगट्टू इलाके में दशहरे के दिन मनाया जाता है। हर साल इसको मनाते हुए सिर पर चोट लगने से कई लोग बुरी तरह घायल भी हो जाते हैं, जिसके बाद भी लोग इसे हर साल मनाते हैं।
बारिश के बाद भी 11 गांव के लोग बन्नी उत्सव में हुए शामिल, 800 पुलिसकर्मी थे तैनात
भारी बारिश के बाद भी लगभग 11 गांवों के लोग बन्नी उत्सव में शामिल होने के लिए आए हुए थे। इन गावों के लोग दो भाग में बट गए और फिर बन्नी उत्सव की शुरुआत हुई, जिसमें भगवान की मूर्ति लेने के लिए छीना झपटी शुरू हुई। इसके बाद जब लोग एक दूसरे पर लाठी से वार कर रहे थे तभी बन्नी उत्सव हिंसक हो गया। बन्नी उत्सव में हिंसा रोकने के लिए राज्य सरकार के द्वारा लगभग 800 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था, लेकिन इसके बाद इस हर साल की तरह इस साल भी हिंसा को नहीं रोका जा सका।