Uncategorized

भारतीय जनता पार्टी का सदस्यता अभियान

अजय दीक्षित
2 सितम्बर को भारत के प्रधानमंत्री  नरेन्द मोदी  ने अपने राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता को रिन्यू करवाया । असल में देश भर में यह पार्टी नये सदस्यों को बनाने का अभियान चलाती है । अब 3 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सदस्यता को रिन्यू किया है । मोटर लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस, मोबाइल के रिचार्ज और वैलिडिटी के रिन्यू करने को तो सुना था । परन्तु कोई राजनैतिक दल की सदस्यता रिन्यू करता है, यह पहली बार सुना है । इसी पार्टी के सदस्यों को जब भाजपा अपनी पार्टी की सदस्यता देती है तो यह नहीं सुना था कि यह सदस्यता एक या तीन या पांच या दस साल के लिए है ।

जैसे मीठे के पास चीटियां अपने पास आकर चिपट जाती हैं ऐसे ही सत्ता के साथ लोग मंडराने लगते हैं । शायद लेफ्ट पार्टी — सी.पी.आई. और सी.पी.एम. को छोडक़र अन्य सभी पार्टियों के धाकड़ और दिग्गज भाजपा में शामिल हो चुके हैं । मध्य प्रदेश में अपनी हार के बाद भाजपा ने सिंधिया को साधा और ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 20-22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गये और इस प्रकार शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बन गये । इस समय अरुणाचल, मणिपुर, असम आदि में पूर्व कांग्रेसी ही भाजपा में शामिल होकर वहां मुख्यमंत्री हैं । तेलंगाना में टी.आर.एस. की हार के बाद बहुत से टी.आर.एस. (अब वी.आर.एस.) के सदस्य कांग्रेस में शमिल हो गये हैं । इस समय लगभग सभी टी.वी. चैनलों के एंकर भाजपा के पक्षधर हैं । यह ठीक भी है । सत्ता के साथ रहने में ही सुख है । पहले कांग्रेस राज में बहुत से एंकर कांग्रेस के पक्षधर थे ।

असल में 2024 के लोकसभा चुनाव में अपना अच्छा प्रदर्शन न होने के कारण भाजपा में आत्म चिंतन हो रहा है । आज केन्द्र में यद्यपि तीसरी बार भी नरेन्द्र दामोदर दास मोदी प्रधानमंत्री बने हैं । परन्तु वे असल में एन.डी.ए. के प्रधानमंत्री हैं । 4 जून के बाद लगा था कि मोदी उसी दम-खम से अपने निर्णय लेंगे परन्तु जिस प्रकार कई मुद्दों पर भाजपा को अपने पर सिकोडऩे पड़े हैं, उससे स्थिति चिंताजनक है । तीस-चालीस पदों पर विशेषज्ञों की लैटरल नियुक्ति का विज्ञापन वापिस लेना पड़ा । असल में एन.डी.ए. के ही कुछ सहयोगी दलों ने बेकार का हल्ला मचाया । कुछ पदों के लिए विशेष योग्यता की ज़रूरत होती है । जब बीमार पड़ते हैं तो डॉक्टर के पास जाते हैं, वकील के पास नहीं । आरक्षण वाले लोग भी यदि उचित योग्यता रखते हैं तो वे चुने जा सकते हैं । इस मुद्दे को तूल देकर सहयोगी देश का भला नहीं कर रहे हैं । क्योंकि ये बीमार होने पर वकील या दुकानदार के पास नहीं जाते ।

असल में आरक्षण के मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है । यदि 75 साल में आरक्षण के बाद कोई परिवार संपन्न हो गया तो उसके बच्चों को क्यों आरक्षण दिया जाये । 1947-1950 तक जब संविधान बना जो भी भारत की स्थिति हो, आज बहुत से आरक्षित वर्ग संपन्न हो चुके हैं और उच्च जाति के बहुत से लोग निपट गरीबी में जी रहे हैं । मेरे घर के पास एक वैश्य समुदाय का व्यक्ति साइकिल …..का काम कर रहा है । अनेक ब्राह्मण समुदाय के लोग चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं । झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश आदि में कुछ पदों के लिए लाखों लडक़े-लड़कियां उमड़ पढ़ते हैं । वे सब पिछड़ी जाति के नहीं हैं । ज्यादातर उच्च जाति के हैं । भाजपा सरकार को वक्फ बोर्ड का मामला जेपीसी को सौंपना पड़ा । सूचना प्रसारण बिल होल्ड में डालना पड़ा । पांच सदस्यों की पार्टी वाले चिराग पसवान भी आंख दिखलाना चाहते हैं, असल में मोदी जी को काम करने दें । नहीं तो लोकसभा भंग करके पुन: चुनाव हो तो भाजपा अबकी बार पांच सौपर जायेगी और भारत विश्व गुरु बनकर रहेगा ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights