अंतर धार्मिक जोड़े के बीच विवाह हिंदू मैरिज एक्ट के तहत अमान्य, केवल हिंदुओं पर ही लागू
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अंतर-धार्मिक जोड़ों के बीच कोई भी विवाह अमान्य है। इस कानून के तहत सिर्फ हिंदू ही विवाह कर सकते हैं। तेलंगाना हाईकोर्ट के अगस्त 2017 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह टिप्पणी की। इस मामले में अगली सुनवाई फरवरी में होगी।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने इसाई याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 494 के तहत कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था। 2013 में इस धारा के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ हैदराबाद में एक युवती ने शिकायत दर्ज कराई थी।
आरोप था कि याचिकाकर्ता का विवाह फरवरी 2008 में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत हिंदू रीति-रिवाज से शिकायतकर्ता के साथ हुआ था। जबकि याचिकाकर्ता का दावा है कि उसकी शिकायतकर्ता के साथ कभी कोई शादी हुई ही नहीं। हिंदू रीति-रिवाज वाली बात भी पूरी तरह गलत है। उसे झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। युवक ने यह भी दावा किया कि शिकायतकर्ता ने बयान के अलावा उससे शादी का कोई और प्रमाण नहीं दिया है।