ग्रेटर नोएडा

6 साल पहले बनी पर आज तक नहीं की गई जांच, जानिए पूरी खबर

ग्रेटर नोएडा। छह साल पहले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ दीपक अग्रवाल ने निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने और लगाम कसने के लिए एक कमेटी गठित कर अस्पतालों की प्रतिदिन जांच करने का फैसला लिया था। कमेटी में एसीईओ स्तर के अधिकारी शामिल किए गए थे।

दीपक अग्रवाल के तबादले के बाद हवा-हवाई बन गया आदेश

सख्त निर्देश भी जारी हुआ था कि जिन अस्पतालों द्वारा लीज डीड की शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा, उनकी लीज डीड निरस्त कर दी जाएगी। दीपक अग्रवाल के तबादले के बाद यह आदेश हवा-हवाई बन गए। अस्पतालों पर कार्रवाई नहीं हुई। उधर, निजी अस्पतालों का करोड़ों का कारोबार फलता फूलता रहा।

दरअसल निजी अस्पतालों को प्रतिदिन दो-दो घंटे ओपीडी निश्शुल्क करने और गरीब वर्ग को बेड, आपरेशन व परामर्श की सुविधा निश्शुल्क करने के साथ ही 10 फीसद बेड आरक्षित करने की शर्तों पर प्राधिकरण ने जमीन दी थी। अस्पतालों ने इस शर्त को मानते हुए सस्ती दरों पर जमीन तो ले ली, लेकिन एक भी शर्तों को नहीं माना, न ही अस्पतालों में बोर्ड लगाकर इसकी जानकारी सार्वजनिक की।

जानकारी के मुताबिक यह भी शर्त थी कि जिन किसानों की जमीन पर अस्पतालों का निर्माण हुआ है उन्हें भी इलाज और दवाओं में करीब 25 फीसद की छूट दी जाएगी। शिकायत मिलने पर 2016 सितंबर में सीईओ दीपक अग्रवाल ने आदेश दिए कि अस्पतालों की प्रतिदिन जांच की जाए।

करीब 20 अस्पतालों को नोटिस भेजे गए। तब निजी अस्पतालों ने निश्शुल्क ओपीडी शुरू कर दी थी, लेकिन उनका तबादला होते ही अस्पतालों ने भी ओपीडी बंद कर दी और कमेटी ने छापेमारी नहीं की।

  • 2016 के बाद ग्रेनो में तैनात रहे सीईओ
  • अमित मोहन प्रसाद
  • देबाशीष पंडा
  • पारसार्थी सेन शर्मा
  • नरेंद्र भूषण

नोएडा में 2016 के बाद तैनात रहे सीईओ

  • अमित मोहन प्रसाद
  • आलोक टंडन
  • रितु माहेश्वरी

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