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कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा, सिविक एजेंसियों से काम लेने क्या पीएम व राष्ट्रपति को आना होगा बेंगलुरु

कर्नाटक हाईकोर्ट ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (Bruhat Bengaluru Mahanagara Palike) की कार्यप्रणाली पर कटाक्ष करते हुए प्रश्न किया कि क्या स्थानीय निकाय एजेंसियां तभी काम करेंगी जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अक्सर शहर आएंगे और अलग-अलग सड़कों पर यात्रा करेंगे. उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने ये टिप्पणी उन रिपोर्टों के संबंध में की है, जिनमें दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की हाल की बेंगलुरु यात्रा के मद्देनजर बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने शहर की सड़कों की मरम्मत पर 23 करोड़ रुपये खर्च किए थे.

बेंगलुरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) और बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की. दरअसल, मंजुला पी और शारदम्मा पी नामक दो महिलाओं ने ‘विश्वेश्वरैया लेआउट’ में अपने दो आवास स्थलों के लिए पानी और सीवर लाइन कनेक्शन की बहाली की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. इन कनेक्शनों को स्वीकृत किया गया है, लेकिन अब तक कनेक्शन दिए नहीं गए हैं.

अधिकारियों ने नहीं किया आदेश का पालन

हाईकोर्ट की एकल-न्यायाधीश वाली पीठ ने 21 अक्टूबर, 2020 को स्थानीय निकाय एजेंसियों को दो महीने के भीतर दोनों स्थानों पर कनेक्शन बहाल करने और मामले का निपटारा करने का आदेश दिया था. दोनों महिलाओं ने एक साल बाद उच्च न्यायालय में बीडीए और बीडब्ल्यूएसएसबी के आयुक्तों और संबंधित अभियंताओं के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की, क्योंकि इन अधिकारियों ने अदालत के पहले के आदेश का पालन नहीं किया था.

हाईकोर्ट ने किया कटाक्ष

उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने अधिकारियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हो सकता है कि अगर प्रधानमंत्री (PM) और राष्ट्रपति (President) अक्सर बेंगलुरु (Bengaluru) आएं तो यहां की सड़कों की स्थिति में सुधार हो. पिछले हफ्ते आपने गड्ढों को भरने के लिए 23 करोड़ रुपये खर्च किए. आप काम करें इसके लिए प्रधानमंत्री को हर बार अलग-अलग सड़कों पर यात्रा करनी पड़ेगी.

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