अपराधग्रेटर नोएडादिल्ली/एनसीआरनोएडा

रिश्वत लेकर बदमाशों को छोड़ने वाले इंस्पेक्टर, सिपाही बर्खास्त

नोएडा पुलिस की टीम द्वारा कथित तौर पर एटीएम हैकर को पकड़ कर उनसे 20 लाख रुपये और एक क्रेटा कार लेकर उनको छोड़ने के मामले का खुलासा हुआ है। गाजियाबाद की इंदिरापुरम थाना पुलिस की पकड़ में आने पर इन हैकर ने ही यह खुलासा किया है। इस मामले में गाजियाबाद पुलिस द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के बाद डीजीपी ने मामले की जांच शुरू करा दी है। एडीजी इंटेलिजेंस मामले की जांच करा रहे हैं।

पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, इंदिरापुरम थाना पुलिस ने एटीएम हैकर गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया। उनके द्वारा गाजियाबाद में क्रेटा कार से एक घटना को अंजाम दिया गया था। जब पुलिस ने हैकर गिरोह से इस क्रेटा कार के संबंध में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह क्रेटा कार नोएडा पुलिस की एसओजी की टीम के पास है। इस पर हुई पूछताछ में खुलासा हुआ कि उन्हें करीब तीन माह पहले एसओजी नोएडा की टीम ने पकड़ा था और उस दौरान उनके पास 10 लाख रुपये नकद थे। जिसे टीम ने जब्त कर लिया था और उसके बाद उनसे 10 लाख रुपये और लेने के लिए एसओजी कर्मियों की एक टीम उनके घर गई थी। टीम वहां से 10 लाख रुपये और क्रेटा कार लेकर आ गई थी। इस पर इंदिरापुरम थाना पुलिस ने हैकर को उनके घर ले जाकर वहां से एसओजी कर्मियों द्वारा क्रेटा कार ले जाने की सीसीटीवी फुटेज भी बरामद कर ली।

इस संबंध में पूरी रिपोर्ट बनाकर डीजीपी मुख्यालय को भेजी जिसे डीजीपी ने गंभीरता से लिया है और इस प्रकरण में जांच बैठाते हुए रिपोर्ट तलब की है। एडीजी इंटेलिजेंस भी पूरे मामले की जांच करा रहे हैं।

50 लाख से शुरू हुई थी डील : इस मामले की जांच में जुटे पुलिस अधिकारियों की मानें तो नोएडा पुलिस ने एटीएम हैकर को छोड़ने के लिए पहले 50 लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन बाद में 20 लाख रुपये देने पर सहमति बनी। हैकर जब एसओजी कर्मियों को अपने घर रुपये देने के लिए लेकर गए तो वहां पर एक नई क्रेटा कार भी खड़ी थी। इस पर तब तक नंबर भी नहीं था। एसओजी कर्मियों ने कहा कि यह कार भी तुमने ठगी के रुपये से खरीदी है और इस कार को भी वह अपने साथ ही लेकर चले गए।

इंदिरापुरम थाने के चार पुलिस कर्मियों के खिलाफ नोएडा में दर्ज हुआ था केस : नोएडा में इंदिरापुरम थाने के चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ फेज-3 थाने में 23 अक्टूबर को मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसमें गांव गढ़ी-चौखंडी निवासी लीलू ने आरोप लगाया था कि इंदिरापुरम पुलिस उसे तथा उसके भाई सलेक चंद और भतीजे जितेंद्र को उठाकर इंदिरापुरम थाने में ले गई थी और उनसे 10 लाख रुपये के चेक पर हस्ताक्षर कराने के बाद छोड़ा गया था। इस मामले में एक वीडियो भी वायरल हुआ था और उसमें इंदिरापुरम थानाध्यक्ष की गाड़ी को गांव गढ़ी चौखंडी में आने का बताया गया था। इस मामले के बाद अब इंदिरापुरम थाना पुलिस ने नोएडा पुलिस को लेकर यह नया खुलासा किया है जिसको लेकर दो जिलों के पुलिस अधिकारियों में आपसी तकरार के बढ़ने की भी संभावना व्यक्त की जा रही है।

नोएडा में डीसीपी क्राइम को सौंपी गई जांच

अपर पुलिस आयुक्त लव कुमार ने कहा कि इस मामले की जानकारी मिली है और इस मामले में डीसीपी क्राइम को जांच सौंप कर पूरी रिपोर्ट तलब की गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद इस प्रकरण में आगे की कार्रवाई की जाएगी और जो दोषी निकलेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

मेरठ के अधिकारी भी मामले की जांच में जुटे

इस मामले के खुलासे के बाद से पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है और लखनऊ से लेकर नोएडा, गाजियाबाद तथा मेरठ तक के पुलिस अधिकारियों के बीच यह मामला चर्चा में है। मेरठ के भी कुछ वरिष्ठ अधिकारी इस मामले की जांच में जुटे हैं।

यह मामला जानकारी में आया है और इस प्रकरण में उच्च स्तरीय जांच शुरू करा दी गई है। जांच रिपोर्ट आने पर इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी और यदि पुलिसकर्मियों पर दोष साबित हो जाता है तो उन्हें बर्खास्त भी कराया जाएगा। -आलोक सिंह, पुलिस कमिश्नर

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