हरिद्वार। जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी की रिहाई की प्रतीक्षा में सर्वानंद घाट पर धरने पर बैठे महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि और स्वामी अमृतानंद ने मुस्लिम धर्मगुरुओं के विश्व के सबसे बड़े संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के आतंकवादियों का मुकदमा लड़ने की बात को दुनिया के हर व्यक्ति तक पहुंचाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने साथियों से परामर्श करके इस बार शंकराचार्य जयंती पर हरिद्वार में सनातन के इतिहास की सबसे बड़ा धर्मसंसद आयोजित करने का निर्णय लिया।
आज हिमाचल प्रदेश धर्म संसद के मुख्य आयोजक योगी ज्ञाननाथ और यति सत्यदेवानंद भी जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी की प्रतीक्षा में सर्वानन्द घाट पर आकर बैठे।
आदिगुरु शंकराचार्य की जयंती पर आयोजित होने वाली धर्म संसद के विषय में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने बताया कि आज हिन्दू समाज में सबसे बड़ा संशय इस बात को लेकर है कि सन्ताें की समाज की रक्षा में कोई भूमिका है भी या नहीं। इस देश में यदि मुसलमानों के साथ अगर कुछ गलत होता है तो उनके मौलाना मस्जिदों और मदरसों से उनके लिये लड़ाई लड़ते हैं। ईसाइयों के साथ कुछ होता है तो उनके पादरी चर्चों से उनके लिये लड़ते हैं। सिखों के साथ कुछ होता है तो उनके ग्रन्थी गुरुद्वारों से उनके लिये लड़ते हैं। बौद्धों के अस्तित्व की लड़ाई उनके मठों से बौद्ध भिक्षु लड़ते हैं। हिन्दुओं पर चाहे कितना ही अत्याचार क्यों ना हो,उनका कोई धर्मगुरु उनका साथ नहीं देता और ना ही उनके लिए कोई आवाज उठाता है। ऐसे भी हिन्दू जाए तो जाए कहाँ?
उन्होंने कहा कि भारत में जितनी भी आतंकवादी घटना होती हैं, उसके शामिल सभी आतंकवादियों के मुकदमे जमीयत उलेमा-ए-हिन्द लड़ती है। फिर भी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बहुत सारे तथाकथित सनातन के धर्मगुरु उनको अपने मंचाें पर बुलाकर सनातन धर्म और हिन्दुओं के साथ विश्वासघात करते हैं। ये लोग हिन्दुओं के पक्ष में उठने वाली हर आवाज को अधार्मिक बता कर दबा देते हैं। ऐसे में हिन्दू समाज दिशाविहीन होकर कभी भी हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का विरोध नहीं कर पा रहा है और सर्वनाश की ओर बढ़ रहा है। सनातन के महाविनाश के इन क्षणों में आज हिन्दुओं का यह संशय दूर होना ही चाहिये। इस बार का धर्म संसद इसी विषय को लेकर आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि स्वामी अमृतानंद धर्म संसद के मुख्य संयोजक होंगे जो पूरे देश में जाकर सन्तों को धर्म संसद के लिये निमन्त्रित करेंगे।