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गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार गिरफ्तार, इसरो के पूर्व वैज्ञानिक ने जताया संतोष

नई दिल्ली. इसरो के पूर्व साइंटिस्ट नंबी नारायणन ने इस बात पर संतोष जताया है कि गुजरात पुलिस ने रिटायर आईपीएस आरबी श्रीकुमार को फर्जी केस गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. इसरो के पूर्व साइंटिस्ट ने कहा कि उनके मामले में भी श्रीकुमार ने ऐसा ही किया था. शनिवार को गुजरात पुलिस ने रिटायर आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार को गिरफ्तार किया है. श्रीकुमार पर फर्जी केस गढ़ने और उसे सनसनीखेज बनाने का आरोप है. इसरो के पूर्व साइंटिस्ट नंबी नारायणन ने कहा कि 1994 में इसरो जासूसी कांड में उनके मामले में भी ठीक यही किया गया था.

समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक गुजरात के पुलिस के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को गुजरात पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार किया. इसके एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2002 के दंगों के मामले से क्लीन चिट दे दी थी. इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसरो के पूर्व साइंटिस्ट नंबी नारायणन ने कहा कि पूर्व पुलिस अधिकारी श्रीकुमार ने हर सीमा को पार कर दिया था. लेकिन हर चीज की एक सीमा भी होती है. नारायणन ने कहा कि उनको जानकारी मिली है कि श्रीकुमार को फर्जी आरोप गढ़ने और उनको सनसनीखेज बनाने के लिए गिरफ्तार किया गया है.

इसरो के पूर्व साइंटिस्ट नंबी नारायणन ने कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए कुछ लोगों ने गैर जिम्मेदारी से काम किया. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने दिखाया है कि आप ऐसे ही कुछ भी नहीं कर सकते. नारायणन ने यह भी आरोप लगाया कि श्रीकुमार ने उनके खिलाफ गलत बयानबाजी की थी. गौरतलब है कि सीबीआई ने केरल हाईकोर्ट से श्रीकुमार और चार लोगों को मिली अग्रिम जमानत के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. इन लोगों के खिलाफ 1994 में इसरो के साइंटिस्ट नंबी नारायणन के खिलाफ फर्जी जासूसी का मामला बनाने का आरोप था.

केरल हाईकोर्ट ने श्रीकुमार और दो पुलिस अधिकारियों और केरल के एक रिटायर इंटेलिजेंस अफसर को इस केस के संबंध में अग्रिम जमानत दी थी. नंबी नारायणन और इसरो के एक अन्य पूर्व वैज्ञानिक ने पिछले साल अगस्त में सीबीआई को इसरो षड्यंत्र केस की जांच करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा था कि उनको केरल पुलिस और खुफिया विभाग के पूर्व अधिकारियों ने शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था.

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