पहली बार अमेरिका का जंगी जहाज मरम्मत के लिए आया भारत, रक्षा संबंधों में जुड़ेगा नया आयाम
उन्नत तकनीक और मशीनरी के क्षेत्र में अमेरिका समेत अन्य यूरोपियन देश भारत से अव्वल रहे हैं. इस वजह से भारत अपने रक्षा उपकरण समेत अन्य मशीनों संबंधी अपनी जरूरतों के लिए पश्चिमी देशों पर निर्भर रहा है. अमूमन इन उपकरणों और मशीनों की रिपेयरिंंग भी भारत पश्चिमी देशों में करता रहा है. लेकिन, इस बार ‘गंगा उल्टी’ बहते हुए दिखाई दे रही है. इस बार अमेरिकन नेवी का जहाज भारत रिपेयरिंंग के लिए पहुंचा है. भारत के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह पहली बार हुआ है, जब अमेरिकन जहाज रिपेयरिंंग के लिए भारत पहुंचा है. यह सब भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते सामारिक समझौते की वजह से हो पाया है.
चेन्नई में होगी अमेरिकन जहाज की रिपेयरिंग
रिपेयरिंग के लिए भारत पहुंचे अमेरिकन नेवी के जहाज का नाम चार्ल्स ड्र्यू है. जो रविवार को चेन्नई पहुंचा है. समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकन नेवी ने जहाज की रिपेयिरिंग का कांट्रेक्ट एलएंडटी को दिया है. जो चेन्नई के कट्टपल्ली स्थित शिपयार्ड पर इस जहाज की रिपेयरिंग करेगा.
इस रिपेयरिंग से भारत के बाजार को मिलेगी नई पहचान
अमेरिकन जहाज की रिपेयरिंंग का मौका भारत का लिए नए अवसर लेकर आया है. मंत्रालय के मुताबिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अमेरिकन जहाज की रिपेयरिंग से भारत का शिपयार्ड रिपेयरिंग बाजार वैश्विक स्तर पर प्रचारित होगा. इससे देश में भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. माना जा रहा है कि विश्वभर के देशों के लिए भारतीय शिपयार्ड रिपेयरिंग बाजार सस्ता और सुलभ हो सकता है.
भारत और अमेरिका के आला अधिकारियों ने किया जहाज का स्वागत
अमेरिकन नेवी का जहाज रिपेयरिंग के लिए रविवार को चेन्नई तट पर पहुंचा. जिसका भारत और अमेरिका के आला अधिकारियों ने स्वागत किया. इस दौरान रक्षा सचिव अजय कुमार, वाइस चीफ ऑफ नेवल स्टॉफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमेड, फ्लैग ऑफिसर तमिलनाडू, एडमिरल एस वेंकट रमन, अमेरिकी दूतावास के अधिकारी के साथ ही रक्षा मंत्रालय के अन्य अधिकारी ने चेन्नई तट पर पहुंच कर अमेरिकन नेवी के जहाज का स्वागत किया.
इस अवसर पर रक्षा सचिव अजय कुमार ने कहा कि हम वास्तव में अमेरिकन नेवी के जहाज का स्वागत कर खुश हैं. उन्होंने इसे अमेरिका और भारत के बीच समारिक रिश्तों का नया अध्याय भी बताया. कुमार ने कहा कि भारत में मौजूदा समय में 6 बड़े शिपयार्ड हैं, जिनका सालाना टर्नओवर 2 बिलियन अमेरिकी डालर है. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ हमने लिए जहाज तैयार नहीं करते हैं. हमारे पास अपना डिजायन हाउस है, जो सभी तरह के जहाज बनाने की क्षमता रखता है. इस अवसर पर उन्होंने भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल विक्रांत का उदाहरण दिया.