लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

गर्मियों में बच्चों को आम बीमारियों से बचाने के लिए अपनाएं ये तरीके

नई दिल्ली। भारत एक ट्रॉपिकल देश है, इसलिए यहां कई मौसमों आते हैं लेकिन अत्यधिक तापमान भी रहता है। फिर चाहे सर्दी हो, गर्मी हो या फिर मानसून। यही वजह है कि गर्मी में स्कूल/कॉलेज दो-तीन महीनों के लिए बंद रहते हैं। गर्मी एक ऐसा मौसम भी है जब बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी बहु बीमार पड़ते हैं। इसलिए मां-बाप को इस वक्त बच्चों को लेकर सतर्क रहने की ज़रूरत होती है। उनमें थकावट, बुखार, सर्दी जैसे लक्षण दिखें तो उन्हें हल्के में न लें।

आज हम बता रहे हैं गर्मी के मौसम में बच्चों में होने वाली आम बीमारियों के बारे में जिनके बारे में मां-बाप को सतर्क रहने की ज़रूरत है।

अस्थमा

यह साल का वह समय है जब पोलन हवा में मौजूद होते हैं। जिन बच्चों को एलर्जी है उनके लिए गर्मी और उमस स्थिति को और गंभीर बना देती है। अगर बच्चा में थकावट, घरघराहट, सांस लेते समय सीटी की आवाज़, खांसी, सांस फूलने जैसे लक्षण नज़र आएं, तो उन्हें नज़रअंदाज़ न करें, क्योंकि हवा की आवाजाही में कमी धूल और मोल्ड जैसे प्रदूषकों को वायुमार्ग में फंसा सकती है। अस्थमा अटैक को रोकने या खराब होने से बचाने के लिए, बच्चे के पास होने पर किसी को भी धूम्रपान न करने दें, घरों को धूल रहित और धूल-मिट्टी से मुक्त रखें।

चिकनपॉक्स

चेचक के कारण शरीर पर चकत्ते हो जाते हैं, बुखार, सिरदर्द होता है और इससे बच्चा सामान्य रूप से अस्वस्थ महसूस कर सकता है। उपचार का उद्देश्य बीमारी के जाने तक लक्षणों को कम करना है। यह वायरल संक्रमण आमतौर पर बच्चों को ही प्रभावित करता है, यही वजह है कि 12 से 15 महीने की उम्र के बच्चों को वैरीसेला वैक्सीन की पहली खुराक और 4 से 6 साल की उम्र के बीच दूसरी खुराक दी जानी चाहिए। क्योंकि चेचक संपर्क और हवा में मौजूद बूंदों के ज़रिए फैल सकता है, इसलिए संक्रमित बच्चे को बाहर न भेजें।

फ्लू

कोविड-19 महामारी ने सभी लोगों को मास्क पहनना सिखा दिया है। यह एक ऐसी आदत है जिसे महामारी के बाद भी जारी रखना फायदेमंद होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इंफ्लूएंज़ा वायरस भी कोरोना वायरस की तरह ही फैलता है। आमतौर पर फ्लू सर्दियों में मौसम में ज़्यादा देखा जाता है, लेकिन यह गर्मी और मौसम बदलने पर भी हो सकता है। इससे बुखार के साथ खांसी और सर्दी हो सकती है। इसलिए हाथों के सफाई और शारीरिक दूरी बनाएं। आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह से बच्चे को फ्लू शॉट भी लगवा सकते हैं।

फूड पॉइज़निंग

बच्चों को बाहर का खाना बेहद पसंद होता है। खाने से होने वाली बीमारियां गर्मियों के मौसम में आम हो जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्मी में खाना आसानी से ख़राब हो जाता है। संक्रमित और अस्वच्छ खाना खाने से दस्त और उल्टियां शुरू हो सकती है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। यहां तक कि घर पर बने खाने को भी पुराना करके न खाने की सलाह दी जाती है।

हीटस्ट्रोक

बच्चों को खुले मैदान या बाहर खेलना पसंद होता है। जिससे गर्म मौसम में उन्हें लू लग सकती है। हाइपरथर्मिया एक ऐसी स्थिति है जहां शरीर का तापमान असामान्य रूप से ऊंचा हो जाता है, यह संकेत देता है कि यह पर्यावरण से आने वाली गर्मी को नियंत्रित नहीं कर सकता है। गर्मी से थकावट और हीट स्ट्रोक चिकित्सा आपात स्थिति हैं जो हाइपरथर्मिया के अंतर्गत आती हैं। हाइपरथर्मिया से पीड़ित बच्चा सिर दर्द, बेहोशी, चक्कर आना, ज़्यादा पसीना आना, अकड़न जैसे लक्षणों का अनुभव कर सकता है।

बच्चे को भीषण गर्मी से बचाने के लिए उस समय बाहर न भेजें, जब गर्मी चरम पर होती है। शाम होने के साथ बच्चे को बाहर खेलने भेजा जा सकता है।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights