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भीषण गर्मी और उमस, जानलेवा साबित हो सकता है इनका कॉम्बिनेशन

नई दिल्ली। जैसे-जैसे बारिश का मौसम करीब आता है वैसे-वैसे उमस बढ़ने लगती है और जब तक मानसून का सीज़न रहता है तब तक उमस को झेलना पड़ता है। ऐसा कहा जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन के साथ उमस भरी गर्मी और ज्यादा बढ़ेगी और इसे बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

थर्मामीटर जिससे नापा जाता है हवा का तापमान

दुनियाभर के मौसम विज्ञान केंद्र दो थर्मामीटर्स की मदद से टेम्प्रेचर का आंकलन करते हैं। पहला ड्राई बल्ब उपकरण हवा के तापमान का आंकलन करता है। ये वो आंकडा होता है जिसे टीवी या फोन में शहर के तापमान के तौर पर दिखाया जाता है।  दूसरा आंकलन वेट बल्ब थर्मामीटर से किया जाता है। जो हवा में उमस रिकॉर्ड करता है।

क्या होती है वेट बल्ब रीडिंग?

इसमें थर्मामीटर को कपड़े में लपेटकर तापमान चेक किया जाता है। नॉर्मली ये टेम्प्रेचर खुली हवा के तापमान से कम होता है। इंसानों के लिए बहुत ज्यादा उमस भरी गर्मी जानलेवा हो सकती है। वेट बल्ब की रीडिंग को फील्स लाइक कहा जाता है, इसकी रीडिंग बहुत जरूरी होती है।

उमस भरे मौसम से ये लोग होते हैं सबसे ज्यादा प्रभावित

उमस से होने वाली समस्याएं ज्यादातर तटीय क्षेत्रों, खाड़ियों, जलसंधियों में देखने को मिल रही है, जहां भाप बनकर उड़ रहा समुद्र का पानी गर्म हवा में मिलता रहता है। भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान की ये गंभीर स्थिति आ सकती है। खुली जगहों पर मजदूरी करने वाले और खेतों में काम करने वाले लोग इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं और आएंगे।

क्या होती है उमस?

– कड़ी धूप पड़ती है तो जमीन की नमी भाप बनकर उठती है। यह भाप ही उमस है।

– गर्मी से बारिश, नदी-नालों, समुद्र या झील का पानी भाप बनकर उड़ता है और आसपास की हवा में फैल जाता है। इसे ही उमस कहते हैं।

– जब भाप वाली हवा शरीर से टकराती है तो ह्यूमिडिटी यानी उमस का एहसास होता है।

– ठंडी जगहों की तुलना में गरम जगहों पर उमस ज्यादा होती है। गर्मी से पानी तेजी से भाप बनकर उड़ता है और हवा में फैल जाता है।

पसीना क्यों है फायदेमंद?

हमारे शरीर का तापमान आमतौर पर 35 डिग्री सेल्सियस होता है। अलग-अलग तापमान पर हमारा शरीर पसीना निकालकर बॉडी को ठंडा रखने का काम करता है। शरीर से पसीना निकलकर भाप बनते हुए अपने साथ गर्मी भी लेकर उड़ जाता है। हवा में पहले से इतनी नमी मौजूद होती है कि वह गर्मी की वजह से निकलने वाले पसीने को भाप के तौर पर उड़ा नहीं पाती।

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