बुजुर्गों के साथ ईएमसीटी के सदस्यों और बच्चों द्वारा मनाया गया क्रिसमस का त्योहार।
EMCT का एक प्रयास उन मासूम चेहरों पर खुशियां लाना जो किसी ना किसी वजह से अपने अपनों से दूर रहने को मजबूर हैं।
दो वक़्त का खाना, पीने के लिए पानी, पहनने के लिए कपड़े और सिर पर छत – ये हम इंसानों की मूलभूत ज़रूरतें हैं। और यही जरुरते पूरी करने के लिए बनी ऐसी बहुत सी संस्थाएं जो काम कर रही हैं उनमें से एक है हमारी ईएमसीटी संस्था जो उन बुजुर्गो के लिए प्रयासरत है जिनको उनके बच्चे उन्हे घर से बेघर कर देते हैं वो तो निकाल देते हैं लेकिन कुछ संस्थाएं हैं जो उन्हे घर देते हैं खाना देते है पहनने के लिए कपड़े देते हैं जिन्हे हम कहते हैं “OLD AGE HOME वृद्धाश्रम”
हमारी टीम नियमित रूप से इन वृद्धाश्रमो में रह रहे परिजनों के संपर्क में रहती है| इस सप्ताह भी टीम ने कई वृद्धाश्रमों में जाके परिजनों से भेट की और उनको नए गर्म कपडे वितरित किये तथा उनकी अन्य जरूरतों की सूची भी बनायीं साथ ही साथ क्रिसमस त्योहार भी मनाया गया तथा आने वाले सप्ताह भी हम ऐसे और परिजनों से मिलेंगे और सहयोग का प्रयास करेंगे |
वृद्धाश्रम कोई प्रकृति की देन नहीं है, बल्कि यह उन वृद्धों के व्यस्क और जवान पुत्रों, पुत्रियों, पुत्रवधू और अपने ही परिवार के सदस्यों द्वारा तिरस्कृत वृद्धों का समाज है। जो कहने के लिए वृद्ध माता-पिता हमारे सभ्य समाज में फिट नहीं बैठते है।
यह भारत जैसे देश की विडंबना है कि जिस धरती पर माता पिता को भगवान का स्वरूप मानते हैं। उसी धरती पर उनकी यह स्थिति दयनीय है। यह हमारे समाज की संस्कृति के बिल्कुल विपरीत है। कुछ संभ्रांत परिवार के लोग अपने माता-पिता को खुद ही वृद्धा आश्रम छोड़ कर आते हैं। जबकि कई माता-पिता ऐसे हैं जिनकी हालत इतनी बुरी होती है कि उनको घर से निकाल कर सड़कों पर दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है। वहीं दूसरी तरफ एक तबका ऐसा है जो दिन-रात इस जद्दोजहद में लगा है कि किसी तरह इन चंद मूलभूत ज़रूरतों को पूरा कर सकें।
ऐसे में, जो समर्थ लोग हैं उनकी ज़िम्मेदारी बनती है कि वे किसी ज़रूरतमंद के काम आएं। आज के इस प्रयास को सफल बनाने में ईएमसीटी टीम से बेबी आराध्या, बेबी ध्रुवी, बेबी अन्वी, अनामिका, शीतू , अशिमा और अमित गिरी उपस्थित रहे।