मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA) की नेत्री मेधा पाटकर समेत 11 लोगों के खिलाफ बड़वानी थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. मेधा पाटकर पर प्रीतम राज बड़ोले नाम के युवक ने दान में मिले फंड में गड़बड़ी का आरोप लगाया है. युवक ने कहा है कि मेधा पाटकर (Medha Patkar) ने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताकर और नर्मदा घाटी के लोगों के कल्याण के लिए एमपी और महाराष्ट्र के आदिवासी बच्चों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा देने के नाम पर बड़ी मात्रा में धनराशि बतौर दान के रूप में ली, लेकिन उस राशि का मेधा पाटकर और अन्य लोगों की ओर से राजनीतिक और राष्ट्र विरोधी एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया गया.
युवक ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि मेधा पाटकर ने जनता को गुमराह किया है. दान में मिले फंड में गड़बड़ी को लेकर न्यायहित में और निष्पक्ष लोक प्रशासन के लिए जांच की जरूरत है. युवक ने कहा, ”प्रथम दृष्टया जांच से पता चलता है कि 14 सालों में ट्रस्टियों ने 13 करोड़ से ज्यादा की राशि जमा की, जिस राशि का स्त्रोत और व्यय का स्पष्ट खुलासा नहीं किया. CSR नीति के तहत मेजगओ डाक लिमिटेड और MDL से बड़ी राशि प्राप्त हुई थी, जिस CSR निधि का उपयोग केवल विकासात्मक कार्यो के लिए दिया जाता है, न कि भोजन कराने के लिए. लेकिन इनके द्वारा उस राशि का उपयोग स्कूल के छात्रों और कर्मचारियों को भोजन कराने के उद्देश्य से लिया गया.
मेधा पाटकर के अकाउंट में 19 लाख रुपए से ज्यादा आए- शिकायतकर्ता
मेधा पाटकर पर आरोप है कि ट्रस्ट के द्वाराडेढ़ करोड़ से ज्यादा रुपए की बैंक से नगद निकासी की गई, लेकिन निकासी की ऑडिट और खाता विवरण भी अस्पष्ट है. ट्रस्ट के 10 खातों में से 4 करोड़ से अधिक राशि नियमित और अज्ञात निकासी हुई. ट्रस्ट ने एकत्रित किए दान का पैसा विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के प्रबंधन के लिए डायवर्ट किया गया. मेधा पाटकर के सेविंग अकाउंट में 19 लाख से अधिक राशि खाते में आई है, जबकि मेधा ने इंदौर की एक कोर्ट में आय का दावा करते हुए 6 हजार रुपए प्रतिवर्ष दर्शाया है.
सभी आरोपों का जवाब देने के लिए तैयार- मेधा पाटकर
मेधा पाटकर ने सभी आरोपो को खारिज करते हुए कहा, ”अभी पुलिस की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई सूचना नहीं मिली है. हम सभी आरोपों का जवाब देने के लिए तैयार हैं. आर्थिक मुद्दे को लेकर अगर शिकायत है तो हमारे पास ऑडिट रिपोर्ट भी मौजूद है. सुप्रीम कोर्ट में भी केस दाखिल किया था जो कि आज दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर बन गए है, वो हर गए थे. हम विदेशी पैसा नहीं लेते हैं. हमारे अकाउंट्स का आडिट होता रहता है और आगे भी हम जवाब और सबूत पेश करने के लिए तैयार हैं. शिकायत करने वाला ABVP और आरएसएस से जुड़ा है.
एफआईआर कराकर बदनाम करने की साजिश- मेधा पाटकर
मेधा पाटकर ने आगे कहा, ”हमने राशि का सही उपयोग किया है. जीवनशाला का संचालन आज भी जारी है. बैंक खातों के लेनदेन की ऑडिट रिपोर्ट हमारे पास मौजूद है.” उन्होंने कहा, ”हमारे पास हर साल का आडिट मौजूद है और बैंक का लेनदेन और अकाउंट में नहीं देखती हूं. मेरे खाते में कितनी राशि है, वह भी मेरे पास नहीं रहता है. दूसरे रिटायर्ड आफिसर हैं, उनके पास है. जब भी ऐसे सवाल पूछे जाते हैं, हम जवाब और सबूत देते हैं. इस तरह के आरोप पूर्व में भी लग चुके हैं. CSR फंड नहीं के बराबर लेते हैं. एक ही बार नंदुरबार कलेक्टर के माध्यम से कंपनी से मिला था भोजन के लिए, जिसका आडिट भी हो चुका है. इस मामले के पीछे राजनेतिक कारण भी हो सकता है या फिर एफआईआर कराकर बदनाम करने की साजिश हो सकती है.