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गुरुग्राम में सेंटर, बांग्लादेश के मरीज और डोनर… जयपुर में होता था किडनी ट्रांसप्लांट; ऐसे चल रहा था इंटरनेशनल रैकेट

गुरुग्राम। बांग्लादेश से बुलवाकर जयपुर के एक निजी अस्पताल में अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले गिरोह का गुरुवार को सीएम फ्लाइंग स्क्वायड और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने भंडाफोड़ किया है।

टीम ने गुरुग्राम के सेक्टर 39 स्थित बाबिल नाम के गेस्ट हाउस में छापेमारी कर दो डोनर और तीन मरीजों को पकड़ा है। गिरोह का संचालक बांग्लादेश से डोनर और मरीजों को बुलाकर जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में अवैध रूप से ट्रांसप्लांट करवाता था।

इसके लिए मरीजों से 10 से 12 लाख रुपये वसूले जाते थे। जबकि डोनर को दो लाख रुपये देते थे। फिलहाल गिरोह को संचालित करने वाला मुख्य आरोपित मो. मुर्तजा अंसारी फरार है।

गोपनीय सूचना पर गेस्ट हाउस में की छापेमारी तो…

मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की तरफ से बताया गया कि गोपनीय सूचना के आधार स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ मिलकर सेक्टर 39 स्थित बाबिल नाम के गेस्ट हाउस में छापेमारी की गई।

इस दौरान पता चला कि गेस्ट हाउस में किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीज और डोनर ठहराए गए हैं। मौके पर किडनी दानदाता 24 वर्षीय शमीम मेहंदी हसन व 30 वर्षीय हुसैन मोहम्मद और प्राप्तकर्ता 66 वर्षीय इस्लाम नुरुल, 33 वर्षीय कोबीर एमडी अहसानुल व 25 वर्षीय महमूद सैयद अकब मौजूद मिले।

मरीज और डोनर सभी बांग्लादेशी

ये सभी बांग्लादेशी हैं। इनका आपस में कोई भी रिश्ता नहीं मिला। इनके पास से जयपुर के एक अस्पताल के कागजात पाए गए। इनसे पूछताछ में पता चला कि मो. मुर्तजा अंसारी नाम का युवक इन सभी को बुलवाता था।

इनमें दो मरीजों का ट्रांसप्लांट हो चुका था। एक मरीज का ट्रांसप्लांट थोड़े दिनों बाद कराना था। यह भी पता चला कि अंसारी की जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में कुछ कर्मचारियों के साथ मिलीभगत थी।

रांची का है मास्टरमाइंड

यह कागज में हेरफेर कर फर्जीवाड़े से मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट करा देते थे। टीम के पहुंचने से पहले ही मो. अंसारी फरार हो गया था। आरोपित की तलाश में छापेमारी जारी है।

जल्द ही एक टीम जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में जाकर भी पूछताछ करेगी। गिरोह का मास्टरमाइंड झारखंड के रांची का रहने वाला है। वह बीते कई सालों से रुपये लेकर फर्जी तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट करवाने का काम कर रहा था।

गेस्ट हाउस से पकड़े गए सभी लोगों का मेडिकल कराया जा रहा है। पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। जांच के दौरान जो भी चीजें सामने आएंगे, वैसे ही कार्रवाई आगे बढ़ेगी। जरूरत पड़ने पर राजस्थान पुलिस का भी सहयोग लिया जाएगा।- कपिल अहलावत, एसीपी सदर

स्वास्थ्य विभाग की ओर से डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. पवन चौधरी, डीएमएस डा. मनीष राठी और सर्जन डा. विवेक देसवाल की टीम बनाकर मौके पर भेजा गया था। यहां मरीजों की जांच रिपोर्ट देखी गई है। इससे पता चला कि किडनी दानदाता और प्राप्तकर्ता में आपस में कोई संबंध नहीं है।-डॉ. विरेंद्र यादव, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

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