उत्तर प्रदेश की छह जातियों को एसटी में शामिल करने का विधेयक लोकसभा में पेश
उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की सूची में बदलाव संबंधी विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया। कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र सरकार कहा कि वह टुकड़े-टुकड़े में बिल लाने के बजाय सभी राज्यों के लिए एक व्यापक विधेयक पेश करे। चौधरी ने यह भी दावा किया कि इस बिल को यूपी चुनाव को देखते हुए लाया गया। इस दावे को खारिज करते हुए केंद्रीय जनताजीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि चुनाव समाप्त हो चुके हैं और इस बिल का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है।
विपक्ष की नोकझोंक के बीच यह बिल ध्वनिमत से पेश किया गया। संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 के प्रावधानों के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति की पहली सूची 1950 में अधिसूचित की गई थी। सरकार विभिन्न राज्यों के अनुरोध पर इस सूची में बदलाव कर रही है। इस बिल के मुताबिक यूपी सरकार ने नवनिर्मित जिलों संत कबीर नगर, कुशीनगर, चंदौली और संत रविदास नगर में रह रहे गोंड समुदाय को अनुसूचित जातियों की सूची से बाहर करने का अनुरोध किया था। प्रदेश सरकार ने इन जिलों में रहने वाले गोंड, धुरिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति में रखने का आग्रह किया है।