देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में शुक्रवार को देवस्थानम बोर्ड समाप्त करने के लिए विधेयक पेश किया गया।
विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन प्रदेश के धर्मस्व एवं तीर्थाटन मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन (निरसन) विधेयक पेश किया।चारों हिमालयी धामों – बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तथा 49 अन्य मंदिरों के प्रबंधन के लिए गठित देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों के आंदोलन के आगे झुकते हुए उत्तराखंड सरकार ने 30 नवंबर को अधिनियम वापस लेने का निर्णय लिया था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में कहा था कि तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों के सम्मान एवं चारधाम से जुड़े सभी लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने देवस्थानम अधिनियम वापस लेने का फैसला किया है।
अस्तित्व में आने के ठीक दो साल बाद देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का फैसला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता मनोहरकांत ध्यानी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश के आधार पर किया गया।
चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों ने निकट आ रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए अपने आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दी थी और धामी सरकार का यह निर्णय इसी दवाब का नतीजा माना जा रहा है।
देवस्थानम अधिनियम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में दिसंबर 2019 में पारित हुआ था, जिसके तहत जनवरी 2020 में बोर्ड का गठन किया गया था।