अंतर्राष्ट्रीय

तीन साल में चीन से युद्ध करने के लिए तैयार हो जाए ऑस्ट्रेलिया, Red Alert रिपोर्ट में दी गई सलाह

ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच अगले 3 साल में जंग हो सकती है. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में इस खतरे को लेकर आगाह करते हुए ऑस्ट्रेलिया को जंग के लिए तैयार रहने को कहा है. ऑस्ट्रेलिया के दो प्रमुख अखबारों सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड और द एज ने इस बारे में एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार की है. ताइवान न्यूज ने इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी है.

रेड अलर्ट नाम की इस रिपोर्ट को 5 रक्षा विश्लेषकों- एलक फिनकेल, पीटर जेनिंग्स, लाविना ली, मिक रेयॉन और लेसली सीबेक ने लिखा है. इसे ऑस्ट्रेलिया के 9 प्रमुख मीडिया संस्थानों में प्रकाशित किया गया है.

जंग से बचना होगा मुश्किल- रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश ऑस्ट्रेलियाई नागरिक जिस तरह सोचते हैं उसकी तुलना में ताइवान और चीन से जुड़े संघर्ष की संभावना बहुत अधिक है. अगर युद्ध होता है तो अमेरिका के साथ देश के गठबंधन को देखते हुए, ऑस्ट्रेलिया के लिए इसमें शामिल होने से बचना बहुत मुश्किल होगा.

विश्लेषकों का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया युद्ध के लिए तैयार नहीं है और उसे ऐसी स्थिति के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.

2027 में हो सकती है जंग

रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध के खतरे के जोखिम का आकलन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आक्रामक रुख और तेजी से चीन की बढ़ती सैन्य ताकत पर आधारित है. इसमें तीन साल की समय सीमा की बात कही है, क्योंकि 2027 में ताइवान का तनाव निर्णायक बिंदु पर पहुंच जाएगा. इस समय तक चीन ताइवान स्ट्रेट में अमेरिका पर सैन्य बढ़त हासिल कर चुका होगा.

विश्लेषकों के अनुसार चीन का डेमोग्राफिक संकट भी इसकी वजह है. शी जिनपिंग के पास इतने बड़े संघर्ष की तरफ आगे बढ़ने के लिए सीमित रास्ते हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर ऐसी स्थिति बनती है कि संघर्ष टाला नहीं जा सकता तो यह अमेरिका के लिए अधिक होगा कि ताइवान स्ट्रेट में युद्ध जल्द शुरू हो जाए.

ऑस्ट्रेलिया के लिए क्यों जरूरी ताइवान?

हालांकि, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध में शामिल होने को लेकर आस्ट्रेलियाई लोगों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, रक्षा विश्लेषक मिक रेयान ने लिखा है कि आस्ट्रेलिया ने पहले ही ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका के साथ रहने का फैसला किया है.

रिपोर्ट में ताइवान युद्ध के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि ताइवान पर कोई भी हमला न तो मामूली मामला है और न ही स्थानीय. सफल होने पर दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत महासागर के द्वीपीय राज्यों पर बीजिंग का प्रभुत्व हो सकता है. दुनिया के लिए ऑस्ट्रेलिया की वाणिज्यिक और सुरक्षा जीवनरेखा केवल बीजिंग की खुशी पर निर्भर करेगी.

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