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कर्नाटक हिजाब मामले पर फैसला सुनाने वाले सभी जजों को वाई श्रेणी की सुरक्षा, जान से मारने की मिली थी धमकी

कर्नाटक के बहुचर्चित हिजाब मामले में फैसला सुनाने जजो को धमकी मिलने के बाद रविवार को कर्नाटक सरकार ने सुरक्षा देने का फैसला किया है. इस मामले में राज्य की पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया. एक वीडियो वायरल होने के बाद शिकायत दर्ज कराई थी. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म को लेकर सरकार के आदेश को बरकरार रखा था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि हिजाब इस्लाम धर्म की अनिवार्य प्रथा नहीं है.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा कि हमने तीनों जजों को ‘Y’ कैटेगरी सुरक्षा देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि मैंने डीजी और आईजी को विधानसौधा थाने में दर्ज शिकायत पर जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें कुछ लोगों ने जस्टिस को जान से मारने की धमकी दी थी.

रविवार को यहां मीडिया से बात करते हुए बोम्मई ने कहा कि अगर कोई फैसले से खुश नहीं है तो उसके पास उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाने का विकल्प है। हम देश में कानून के शासन को खतरा पैदा करने वाली राष्ट्र विरोधी ताकतों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। जजों की सुरक्षा पहले ही बढ़ा दी गई है, लेकिन मैंने निर्देश दिया है कि उन्हें वाई-श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जाए.” बोम्मई ने न्यायाधीशों को दी जा रही धमकियों पर तथाकथित उदारवादियों और धर्मनिरपेक्षतावादियों की चुप्पी पर भी सवाल उठायाराज्य पुलिस को आरोपियों को हिरासत में लेने और आगे की जांच के लिए कर्नाटक लाने का निर्देश दिया गया है.

कक्षाओं में हिजाब पहनने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को जान से मारने की धमकी देने के मामले में तमिलनाडु में दो लोगों को हिरासत में लिया गया है. कर्नाटक उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन की विशेष पीठ ने कक्षाओं में हिजाब की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए रेखांकित किया था कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. कर्नाटक में, बेंगलुरु में विधान सौधा पुलिस ने वकील सुधा कटवा की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की है. शिकायत में यह उल्लेख किया गया है कि राज्य में मौत की धमकी, आपराधिक धमकी, अभद्र भाषा का उपयोग और शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का उल्लंघन भी है.

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