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हरीश रावत के एक ट्वीट ने मचा दी उत्तराखंड की सियासत में हलचल, समर्थकों और अन्य के बीच भी खींचतान तेज

पूर्व सीएम हरीश रावत अपने ट्वीट को लेकर आए दिन चर्चाओं में रहते हैं। लेकिन बीते बुधवार को किया गया उनका ट्वीट उत्तराखंड कांग्रेस की राजनीति में हलचल पैदा कर गया। कांग्रेस का एक खेमा जहां मामले में चुप्पी साधे है वहीं, हरदा का खेमा सोशल मीडिया में खासा सक्रिय हो गया है। पूर्व सीएम के पक्ष में दर्जनों कैंपेन पिछले 24 घंटे में चला दिए गए हैं।

सोशल मीडिया में सबसे अधिक पसंद किए जा रहे नारों में ‘हरीश नहीं यह आंधी है, उत्तराखंड का गांधी है’ भी शामिल है। हरीश रावत के पक्ष में कैंपेन चलाने वालों में सबसे अधिक वे लोग शामिल हैं जो पार्टी में कभी न कभी उनके ईद-गिर्द रह चुके हैं। इनमें 2022 विधानसभा चुनाव के लिए दावेदारी कर चुके कांग्रेसी भी हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम की बात की जाए तो हर तीसरी से चौथी पोस्ट हरीश रावत से जुड़ी हुई की जा रही है। समर्थकों द्वारा ‘हम हैं पहाड़ पुत्र के संग’, ‘जहां हरदा-वहां हम’, ‘सबकी चाहत हरीश रावत’, ‘हरदा हमारा आला दुबारा’ जैसे कैंपेन चलाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं पूर्व सीएम के जिस ट्वीट के बाद राजनीति गरमाई हुई है उसे भी 200 से अधिक लोगों ने शेयर किया है।

आलाकमान से बातचीत की खबरों के बीच हरदा ने गुरुवार को एक और ट्वीट करते हुए बुधवार के ट्वीट को सामान्य बताया। उन्होंने लिखा, ‘मेरा ट्वीट रोजमर्रा जैसा ही है, मगर आज अखबार पढ़ने के बाद लगा कि कुछ खास है क्योंकि भाजपा और आम आदमी पार्टी को मेरे ट्वीट को पढ़कर बड़ी मिर्ची लग गई। इसलिए वो बड़े नमक-मिर्च लगाये हुए बयान दे रहे हैं’। यह कहकर रावत ने उन अटकलों को खारिज करने की कोशिश की है, जिसमें उनके पार्टी छोड़ने के बारे में बयानबाजी की जा रही थी।

हरीश रावत के सहयोगी खजान पांडे का कहना है कि पार्टी हाईकमान को उत्तराखंड की स्थिति, कार्यकर्ताओं की भावना और जन भावना को देखते हुए हरीश रावत को नेतृत्व सौंप देना चाहिए। ताकि आगामी चुनाव में पूर्ण बहुमत की सरकार बन सके। साथ ही कांग्रेस के भीतर गलतफहमियां पैदा करने वाले लोगों को पहचान कर उनके कृत्यों पर लगाम लगानी चाहिए या उन्हें यहां से बाहर करना चाहिए।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हुकुम सिंह कुंवर का कहना है कि 45 साल से हरीश रावत ने काफी उतार-चढ़ाव के बाद भी कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पंडित गोविंद पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी के बाद हरीश रावत एकमात्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में हैं। रावत को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाना चाहिए। हरीश रावत के बिना कांग्रेस कि सरकार बनना असंभव है।

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