उत्तर प्रदेशराज्य

ज्ञानवापी परिसर सर्वे की कवरेज पर आज आएगा आदेश, मस्जिद पक्ष ने तथ्यहीन रिपोर्टिंग का लगाया आरोप

ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने ज्ञानवापी परिसर में जारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सर्वे को लेकर भ्रामक खबरें फैलाए जाने का आरोप लगाते हुए जिला अदालत में सर्वे की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की अर्जी दी है। इस पर बुधवार जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों में बहस हुई, अदालत ने दोनों की दलीलें सुनी और मौखिक रूप से कहा कि सर्वे की गोपनीयता बनाए रखे। इसकी रिपोर्ट सिर्फ अदालत में जमा की जानी चाहिए और लीक नहीं होनी चाहिए। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आदेश को सुरक्षित रख लिया और आज यानी 10 अगस्त की तारीख तय कर दी।

बता दें कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि अदालत के निर्देश पर ज्ञानवापी परिसर में पुरातात्विक सर्वे का काम किया जा रहा है। सर्वे की टीम या उसके किसी अधिकारी की तरफ से अब तक कोई बयान नहीं आया है, लेकिन सोशल मीडिया, अखबार और चैनल सर्वे के बारे में लगातार भ्रामक खबरें चला रहे हैं। इन गलत खबरों से जनमानस पर गलत प्रभाव पड़ेगा इसलिए इस तरह के समाचारों को प्रकाशित-प्रसारित होने से रोका जाए। इसके लिए कमेटी ने जिला न्यायाधीश ए. के. विश्वेश की अदालत में मंगलवार को प्रार्थना पत्र दिया है। जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्ष इससे पहले भी सर्वेक्षण को लेकर झूठी खबरें प्रसारित किए जाने का आरोप लगाते हुए सर्वे प्रक्रिया से अलग होने की चेतावनी दे चुका है।

यासीन ने लगाए ये आरोप

यासीन ने यह आरोप लगाया कि शनिवार को सर्वेक्षण के दौरान मीडिया के एक वर्ग ने अफवाह फैलाई कि मस्जिद के अंदर तहखाने में मूर्तियां, त्रिशूल और कलश मिले हैं। अगर इस तरह की हरकतों पर लगाम नहीं लगी, तो मुस्लिम पक्ष सर्वेक्षण का बहिष्कार कर सकता है। जिला अदालत ने पिछले महीने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वे कराने की अनुमति दी थी। उच्चतम न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी निचली अदालत के निर्णय को बहाल रखा। यह सर्वे इस बात का पता लगाने के लिए किया जा रहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को ढहाकर तो नहीं किया गया है।

मीडिया को समाचार प्रकाशन की स्वतंत्रता हैः सौरभ तिवारी

बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान मां श्रृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी राखी सिंह के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने दलील दी कि भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत मीडिया को समाचार प्रकाशन की स्वतंत्रता है। मीडिया कोई गलत समाचार प्रसारित नहीं कर रहा है। यह मुकदमा पूरे समाज से जुड़ा है। इसके बारे में हर कोई जानकारी पाना चाहता है। अगर कोई त्रुटिपूर्ण खबर भी आ रही है तो उसे मीडिया सुधार ले रहा है। वहीं, मुकदमे की चार अन्य वादिनी सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी के अधिवक्ता मदन मोहन यादव और सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि अदालत ने पक्षकारों के साथ ही मीडिया को भी संयम बरतने के लिए कहा है। फिलहाल इस मामले में अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जो आज जारी किया जा सकता है।

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