अंतर्राष्ट्रीय

अमेरिका पर महंगाई की तगड़ी मार, टूटा 40 साल का रिकार्ड, जरूरत का हर सामान हुआ महंगा

मई महीने के लिए अमेरिका में महंगाई (US inflation data) का डेटा सामने आ गया है. अमेरिकी लेबर डिपार्टमेंट की तरफ से जारी डेटा के मुताबिक, मई के महीने में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी रिटेल इंफ्लेशन (Retail inflation) 4 दशकों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. मई महीने में सीपीआई सालाना आधार पर 8.6 फीसदी रहा. मंथली आधार पर इसमें एक फीसदी की तेजी दर्ज की गई है. अप्रैल के महीने में खुदरा महंगाई दर 8.3 फीसदी रही थी. मार्च के मुकाबले मई में महंगाई दर में 0.3 फीसदी की तेजी दर्ज की गई. अमेरिका पिछले कुछ महीनों से लगातार उच्च महंगाई (High inflation rate) की स्थिति से जूझ रहा है. खानपान एवं अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से एक अमेरिकी परिवार के लिए जीवन-निर्वाह काफी मुश्किल हो गया है. इसकी सबसे ज्यादा मार अश्वेत समुदाय एवं निम्न-आय वर्ग के लोगों को झेलनी पड़ रही है.

मार्च 2022 में उपभोक्ता मूल्य आधारित महंगाई 1982 के बाद पहली बार 8.5 फीसदी पर पहुंची थी. इस बढ़ी हुई महंगाई ने अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व को भी ब्याज दर में बढ़ोतरी के लिए मजबूर किया है. हालांकि, कुछ विश्लेषकों ने ऐसी संभावना जताई है कि आने वाले कुछ महीनों में अमेरिका में महंगाई की तेजी पर लगाम लगेगी. लेकिन इसके बावजूद महंगाई के साल के अंत में सात फीसदी से नीचे आने की संभावना कम ही है.

शेयर बाजार में आई भारी गिरावट

महंगाई का डेटा सामने आने के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में भारी बिकवाली हुई है. डाउ जोन्स में 880 अंक यानी 2.73 फीसदी, नैसडैक में 414 अंक यानी 3.52 फीसदी और एस एंड पी 500 में 117 अंक यानी 2.91 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. ग्लोबल मार्केट में इसका असर बिकवाली के रूप में देखा गया. नतीजन भारतीय बाजार में भी 1000 अंकों से ज्यादा की गिरावट आई.

फेड पर इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी का दबाव बढ़ा

रिकॉर्ड महंगाई डेटा के कारण अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी का दबाव बढ़ गया है. अगले सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की अहम बैठक होने वाली है. महंगाई का डेटा आने के बाद निश्चित हो गया है कि वह इंट्रेस्ट रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी करेगा. जानकारों का ये भी कहना है कि उसके बाद वाली बैठक में भी फेडरल रिजर्व इंट्रेस्ट रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी करेगा. ग्लोबल पॉलिटिकल क्राइसिस और तेल के दामों में तेजी के कारण महंगाई का दबाव अभी बने रहने की उम्मीद है.

FII की बिकवाली बढ़ जाएगी

अगर फेडरल रिजर्व इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी करता है तो विदेशी निवेशकों की बिकवाली और बढ़ जाएगी. पिछले आठ महीनों से वे लगातार बिकवाली कर रहे हैं. इस साल अब तक 1.9 लाख करोड़ की निकासी कर चुके हैं. अगर FII की बिकवाली और बढ़ती है तो भारतीय शेयर बाजार में अभी और करेक्शन आएगा.

रुपया और कमजोर होगा

इसके अलावा हाई इंट्रेस्ट रेट से रुपए की वैल्यु और घटेगी जो पहले ही 78 रुपए के स्तर पर पहुंच चुकी है. कमजोर रुपए से इंपोर्ट बिल महंगा होगा और इंपोर्टेड इंफ्लेशन रेट बढ़ जाएगा. ऐसे में रिजर्व बैंक पर रुपए में मजबूती लाने के लिए इंट्रेस्ट रेट बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा. वह पहले ही इंट्रेस्ट रेट में 90 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी कर चुका है. महंगाई बढ़ने से कंपनियों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट पर असर होगा.

सरकारी खजाने पर होगा असर

इसका असर फिस्कल पोजिशन पर भी होगा. चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने बजट 2022 में फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य 6.9 फीसदी रखा है. इसके लिए कच्चे तेल का औसत भाव 75 डॉलर रखा है. रिजर्व बैंक ने इसी सप्ताह हुई MPC की बैठक में कच्चे तेल के लिए औसत भाव को बढ़ाकर 105 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है.

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