भाई दूज के दिन क्यों बहन भाई को देती हैं नारियल का गोला? जानें यह रोचक कहानी
भाई दूज का त्यौहार कई सारे मुख्य त्यौहारों में से एक माना जाता है। रक्षाबंधन के अलावा यह एक ऐसा त्यौहार है जो भाई बहन के लिए महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक होता है। यह त्यौहार दिवाली के पांच दिन के उत्सवों में से ही एक है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर मनाते हैं और इस साल भाई दूज 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं। इस त्यौहार पर बहनें अपने भाई को नारियल का गोला भी देती हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि क्यों बहनें अपने भाई को नारियल देती हैं।
क्यों दिया जाता है नारियल?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार नारियल का हर पूजा में एक विशेष महत्व होता है और भाई दूज के पावन पर्व पर भी इसका महत्व बहुत अधिक माना जाता है। आपको बता दें कि इस दिन नारियल का गोला देने के पीछे यह कारण है कि यम को उनकी बहन यमुना ने भी नारियल दिया था और यमुना का यह मानना था कि नारियल का गोला उनके भाई यम को उनकी याद दिलाता रहेगा।
आपको बता दें कि बहनें अपने भाइयों को हाथ पर मौली बांधकर उनके माथे पर रोली का टीका लगाकर और नारियल का गोला देकर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। इसके साथ-साथ यह भी माना जाता है कि नारियल का गोला भाइयों को देना बहुत शुभ माना जाता है और उसके भाई और बहन का रिश्ता भी बहुत सुख और प्रेम के साथ व्यतीत होता है। आपको बता दें कि नारियल का गोला देने से भाइयों को अधिक आयु और समृद्धि मिलती है।
क्यों मनाते हैं भाई दूज का त्यौहार?
आपको बता दें कि भाई दूज का त्यौहार हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक विशेष त्यौहार होता है। यह दिन भाई-बहन के बीच सद्भावना और प्रेम को भी प्रोत्साहित करता है। कई भाई इस पर्व पर अपनी विवाहित बहनों के घर तिलक लगवाते हैं।
आपको बता दें कि इस दिन पर बहने अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और उसके बाद ही भोजन करती हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार इस पर्व पर तिलक लगाने से पहले भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। आपको बता दें कि इस पर्व पर यम और यमुना की पौराणिक कथा के अलावा एक और पौराणिक कथा को लोग मानते हैं।
माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और फिर बहन सुभद्रा ने कई सारे दीए जलाकर उनका स्वागत किया था साथ ही सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण को तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु होने की कामना की थी।
इस पर्व का महत्व इन सभी कारणों की वजह से विशेष होता है।
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