क्या है साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर, जिसमें बीमारियों को लेकर गुमराह करता है दिमाग? - न्यूज़ इंडिया 9
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क्या है साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर, जिसमें बीमारियों को लेकर गुमराह करता है दिमाग?

ऐसी बहुत ही बीमारियां या दुर्घटनाएं होती हैं, जिनके कारण अकसर व्यक्ति जीवन के लंबे समय तक या जीवनपर्यंत पीड़ा से गुजरता है। उनके मन में आसपास के सामान्य लोगों की तरह दैनिक जीवन न जी पाने का अफसोस घर कर जाता है और उसकी यही मानसिक स्थिति किसी अन्य शारीरिक कष्ट को भी जन्म दे देती है।

यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति का मानसिक कष्ट किसी तरह के शारीरिक लक्षण में तब्दील होने लगता है। इसका व्यापक असर आज की युवा पीढ़ी पर भी देखने को मिल रहा है। वे किसी न किसी तरह के एंगजाइटी का शिकार होते हैं, जिसका परिणाम इस तरह के दर्द के रूप में निकलता है।

– व्यक्ति के मन में भावना, असुरक्षा का भाव विकसित होना।

– ओवरथिंक करना यानी जरूरत से ज्यादा सोचना (अधिकतर नकारात्मक)

– कमतरी के अहसास के कारण चिंता और अत्यधिक चिंता के कारण डिप्रेशन

– लगातार दर्द के कारण प्रोफेशनल लाइफ और दैीनिक जीवन में असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण चिंता और गंभीर स्थिति में एंग्जाइटी

– दर्द से डिस्ट्रैक्शन या भटकाव के गलत तरीकों में समाधान खोजना, जैसे- अत्यधिक कैफीन की लत, धूम्रपान या नशे की लत आदि। ये भटकाव दरअसल शौक में अपनाए जानेवाले एडिक्शन से अलग होते हैं, क्योंकि अक्सर मरीज नासमझी में दर्द से ध्यान हटाने के लिए इस ओर आकर्षित होते हैं।

कैसे करें दर्द के साथ मानसिक कष्ट का समाधान

– सबसे पहले अपने दर्द से संबंधित दवाएं व डॉक्टर से परामर्श नियमित लें।

– उचित पोषण व नींद के चक्र पर विशेष ध्यान दें, यदि दर्द के कारण नींद का चक्र प्रभावित है तो संबंधित डॉक्टर से इस विषय में जरूर सलाह लें।

– अगर दर्द के कारण प्रोफेशनल लाइफ पर असर पड़ रहा है, तो तुरंत मनोचिकित्सक से सलाह लें।

– उन्हीं कामों में दिलचस्पी ना लेना, जिनमें पहले रुचि होती थी, नींद न आने की हद तक चिंताओं का आक्रमण होना, छोटी-छोटी या सामान्य बातों पर बेहद गुस्से में प्रतिक्रिया देना आदि ऐसे लक्षण हैं, जिनके नजर आने पर व्यक्ति को तुरंत मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

– अपनी जानकारी के स्त्रोत सही और सीमित रखें, इंटरनेट पर अपनी समस्या से संबंधित जानकारी से प्रभावित होने से बचें।

– नशे की लत, भटकाव के तरीकों को अपनाने के बजाय मनोचिकित्सक से सलाह लें।

उपरोक्त के अलावा परिजनों का सहयोग रोगी के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन बहुत से मामलों में खासकर महिलाओं के संदर्भ में बहुत जगहों पर ऐसा नहीं देखा जाता। इसलिए जरूरी है कि परिवार के लोग सहयोग करें।

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