
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को लंबे समय से प्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (Uttarakhand UCC Bill) विधेयक विधानसभा में पेश किया। इस विधेयक में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, गोद लेने सहित सामाजिक मुद्दों के लिए नए प्रावधान और कानून बनाए गए हैं। तलाक एवं निकाह के अलग-अलग रूपों को खत्म किया गया है। विवाह का पंजीयन अनिवार्य किया गया है। साथ ही बहु-विवाह पर रोक लगाई गई है। लिव-इन रिलेशन में रहने वाले लोगों को अपने रिश्ते के बारे में पहले से बताना होगा। खास बात यह है कि सभी तरह के तलाक कोर्ट से होंगे और कूलिंग पीरियड छह महीने का होगा। उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा।
उत्तराखंड UCC की खास बातें
- विवाह की न्यूनतम उम्र समान
- विवाह का पंजीकरण अनिवार्य
- तलाक का तरीका एक समान
- तलाक का आधार एक समान
- गोद लेने का अधिकार एक समान
- गुजारा भत्ता का अधिकार समान
- भरण पोषण का अधिकार एक समान
- एक पति-एक पत्नी का नियम एक समान
विवाह का पंजीकरण अब अनिवार्य
लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें। विवाह का पंजीकरण अब अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी। पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
बहुविवाह पर रोक
एक व्यक्ति एक से ज्यादा विवाह नहीं कर सकता। बहुविवाह पर रोक लगेगी। उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है। नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले अनुग्रह राशि में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
मेंटिनेंस
अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण-पोषण का दायित्व पति पर होगा।
मुस्लिम महिलाओं को गोद लेने का अधिकार
गोद लेने का अधिकार सभी को मिलेगा। मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट होगा।
- गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
- पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
- जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।
- विरासत-वसीयत का अधिकार एक समान
- माता पिता की देखभाल का अधिकार समान
क्या-क्या खत्म
- तलाक-ए-हसन खत्म
- तलाक-ए-अहसन खत्म
- तलाक-ए-बाईन खत्म
- तलाक-ए-किनाया खत्म
- सबका तलाक कोर्ट से
- कूलिंग पीरियड 6 माह
- निकाह हलाला खत्म
- निकाह मुताह खत्म
- निकाह मिस्यार खत्म
- हलाला मुताह मिस्यार बलात्कार
- दारुल कजा (शरिया कोर्ट) खत्म
- बाल विवाह अपराध
- बहु विवाह अपराध
- विवाह कॉन्ट्रैक्ट नहीं परमानेंट
- खतना पर कोई रोक नहीं है।