हाईकोर्ट ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी द्वारा 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने संबंधी केजरीवाल मुफ्त बिजली गारंटी कार्ड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए कि वह दो सप्ताह के भीतर अपनी शिकायत से संबंधी प्रत्यावेदन भारत निर्वाचन आयोग को दे और निर्वाचन आयोग इसे विधि अनुसार निस्तारित करे। इसके साथ ही न्यायालय ने याचिका को निस्तारित कर दिया। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एकलपीठ में हुई।
सुनवाई के समय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने किसी पार्टी की बजाए आम आदमी पार्टी के नेता कर्नल (रि.) अजय कोठियाल को पक्षकार बनाया है। इसलिए इसमें भारत निर्वाचन आयोग की कोई भूमिका नहीं है और न ही याचिकाकर्ता ने इस संबंध में आयोग को कोई प्रत्यावेदन दिया है। दअसल, आयोग का कार्य चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद प्रारंभ होता है। जबकि आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया कि पार्टी जनता के हित को देखते हुए यह कार्य करना चाहती है। दिल्ली और पंजाब में भी पार्टी ने बिजली, पानी और शिक्षा को लेकर चुनाव लड़ा है। यह पार्टी का अधिकार है।
उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य विकासनगर (देहरादून) निवासी संजय जैन ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि आम आदमी पार्टी के नेता कर्नल (रि.) अजय कोठियाल द्वारा उत्तराखंड की जनता को उनकी सरकार आने पर मुफ्त में 300 यूनिट बिजली देने का केजरीवाल मुफ्त बिजली गारंटी कार्ड जारी किया जा रहा है। जिसमें शर्त रखी है कि पहले लोग पार्टी द्वारा जारी मोबाइल नम्बर पर मिस्ड कॉल करें, फिर उन्हें 300 यूनिट बिजली का गारंटी कार्ड जारी किया जा रहा है। यह कार्ड संभालकर रखना है, तभी उनकी सरकार बनने पर मुफ्त बिजली दी जाएगी। याचिकाकर्ता का कहना है इस तरह के गारंटी कार्ड भराना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के विरुद्ध है। यह जनता को गुमराह करने वाला है। इस पर आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत रोक लगाई जाए।